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जगन्नाथ धाम पुरी बनेगा विश्वस्तरीय विरासत नगरी

  •     विकास परियोजनाओं की समीक्षा बैठक में बने ठोस खाके

  •     सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप को बरकरार रखते हुए बड़े बदलाव की ओर बढ़ा

भुवनेश्वर। भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक श्रीजगन्नाथ की नगरी पुरी अब सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गरिमा को बनाए रखते हुए विश्वस्तरीय विरासत नगरी के रूप में विकसित होने जा रही है। इसके लिए एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन हुआ। बैठक की अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा और कानून, लोक निर्माण एवं आबकारी मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने संयुक्त रूप से की।

बैठक में उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा ने कहा कि पुरी और श्रीजगन्नाथ मंदिर विश्वभर में श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। लाखों भक्तों का सपना होता है कि वे एक बार इस पवित्र नगरी में आकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करें। उन्होंने कहा कि पुरी को जीवंत, आकर्षक और आध्यात्मिक दृष्टि से और समृद्ध बनाने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर प्रयास करना होगा। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि विकास परियोजनाओं को शीघ्र गति से आगे बढ़ाया जाए और कार्य में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी।

परियोजनाओं को समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए

कानून एवं पूर्त्त मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि विकास कार्यों में चुनौतियां आना स्वाभाविक है, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति और ठोस योजना के बल पर इन चुनौतियों को पार किया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि परियोजनाओं को समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए और हर कार्य योजनाबद्ध तरीके से हो।

कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की समीक्षा

बैठक में कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की समीक्षा की गई। इसमें श्रीगुंडिचा मंदिर के सौंदर्यीकरण और विकास, प्रमोद उद्यान का उन्नयन, श्रीमंदिर आदर्श गुरुकुलम के लिए भूमि अधिग्रहण, सेवायत हाउसिंग प्रोजेक्ट, विश्वस्तरीय रघुनंदन पुस्तकालय और श्रीजगन्नाथ अनुसंधान केंद्र की स्थापना, पुराने पुलिस स्टेशन परिसर में भक्ता निवास का निर्माण, अठरनाला सहित विभिन्न धरोहर संरचनाओं के संरक्षण और विकास जैसे विषय शामिल थे।

पारंपरिक वास्तुकला शैली में होगी नई आधारभूत संरचना

बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि नई आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में ओडिशा की पारंपरिक वास्तुकला शैली का उपयोग किया जाए। श्रीमंदिर के आसपास मौजूद खतरनाक और अवैध निर्माणों को हटाने का भी निर्णय लिया गया। शहर के बुनियादी ढांचे में आधुनिक तकनीकी उपकरणों को शामिल करने और राष्ट्रीय धरोहर प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों का पालन करने पर विशेष जोर दिया गया। इसके साथ ही, किसी भी परियोजना के कार्यान्वयन से पहले पुरी-कोणार्क विकास प्राधिकरण से मंजूरी लेना अनिवार्य किया गया।

ऐतिहासिक महत्ता को अक्षुण्ण रखने पर जोर

बैठक का निष्कर्ष यह रहा कि पुरी की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता को अक्षुण्ण रखते हुए इसे आधुनिक सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय विरासत नगरी के रूप में विकसित करने की दिशा में राज्य सरकार ने ठोस कदम उठा लिए हैं।

इस उच्चस्तरीय बैठक में श्रीजगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी, पूर्त्त विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार सिंह, पुरी के जिलाधिकारी दिव्यज्योति परिडा, ओबीसीसी के प्रबंध निदेशक समीर होता, ईआईसी (सिविल) सत्यव्रत बेहरा, पूर्त्त विभाग के सलाहकार जयकृष्ण दास सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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