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ओडिशा की सियासत गरमाई
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उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले नई राजनीतिक समीकरणों की चर्चा तेज
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भाजपा में संगठनात्मक फेरबदल और मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट
भुवनेश्वर। ओडिशा की राजनीति में इन दिनों गहमागहमी बढ़ी हुई है। एक तरफ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल बार-बार दिल्ली का रुख कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बीजद अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले दिल्ली दौरे पर निकल पड़े हैं। दोनों नेताओं के इस एक साथ राजधानी पहुंचने से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है और तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
मनमोहन सामल हाल ही में दिल्ली से लौटे थे, लेकिन शनिवार देर रात वे फिर दिल्ली रवाना हो गए। माना जा रहा है कि उनका यह दौरा संगठनात्मक फेरबदल और संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में उनकी केंद्रीय नेतृत्व और राज्य प्रभारी से कई दौर की बातचीत हुई है।
भुवनेश्वर लौटने पर सामल ने कहा था कि संगठन से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है और सही समय पर फैसला होगा। उन्होंने बीजद के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा था कि हमारा काम समय पर और पारदर्शी तरीके से होगा। चाहे संगठन की नई टीम बनाना हो या मंत्रिमंडल विस्तार, सबकुछ योजनाबद्ध ढंग से होगा। भाजपा सरकार पहले से तय फैसलों के आधार पर सुचारु रूप से काम कर रही है और इसमें कोई बाधा नहीं है।
भाजपा राज्य इकाई में नए चेहरे लाने की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा राज्य इकाई में कई नए चेहरों को शामिल करने की तैयारी कर रही है, ताकि आने वाले पंचायत और विधानसभा चुनावों में संगठन को मजबूती दी जा सके।
उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले नवीन की रणनीति
उधर, बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक भी रविवार को चार दिवसीय दिल्ली दौरे पर रवाना हुए। यह दौरा 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर बेहद अहम माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि पटनायक बीजद के राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक कर चुनाव को लेकर पार्टी का रुख तय करेंगे।
बीजद संसदीय दल की हुई बैठक
शनिवार को पटनायक ने अपने भुवनेश्वर स्थित निवास पर बीजद संसदीय दल की बैठक बुलाई थी। इसमें सांसदों से विस्तृत चर्चा की गई और संकेत दिए गए कि पार्टी का अंतिम फैसला जल्द घोषित होगा। अभी तक बीजद ने सार्वजनिक रूप से अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, हालांकि राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार का समर्थन कर सकती है।
राज्यसभा में बीजद के सात सांसद
राजनीतिक महत्व इसलिए भी है, क्योंकि राज्यसभा में बीजद के सात सांसद हैं और उनका समर्थन चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है। यही कारण है कि राजनीतिक पर्यवेक्षक इस मुद्दे पर बीजद की भूमिका पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
बीजद में बढ़ती गुटबाजी और असंतोष
नवीन पटनायक का दिल्ली दौरा उस समय हो रहा है, जब बीजद के भीतर असंतोष और गुटबाजी की आवाजें तेज हो रही हैं। हाल ही में वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री अरुण साहू ने शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम में दिए अपने संबोधन में अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के अंदरुनी हालात पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आजकल सत्ता और ताकत दिखाकर कोई भी आदेश जारी कर सकता है और दूसरों को नीचा दिखाकर खुद को श्रेष्ठ साबित करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
बीजद में मौजूद खेमेबाजी पर अरूण का सीधा इशारा
साहू के इस बयान को बीजद में मौजूद खेमेबाज़ी पर सीधा इशारा माना जा रहा है। इससे पहले कटक में पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन समारोह में भी गुटबाजी खुलकर सामने आई थी, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता देवाशीष सामंताराय कार्यक्रम से नदारद रहे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि बीजद में असंतोष धीरे-धीरे सतह पर आ रहा है और आने वाले दिनों में यह नेतृत्व के लिए चुनौती साबित हो सकता है।
दिल्ली दौरे पर उठ रहे सवाल और अटकलें
मनमोहन सामल और नवीन पटनायक, दोनों का एक साथ दिल्ली दौरा महज संयोग है या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक संदेश छिपा है, इस पर चर्चा तेज है। भाजपा जहां अपने संगठन और सरकार को मजबूत करने में जुटी है, वहीं बीजद उपराष्ट्रपति चुनाव में अपनी रणनीति तय कर रही है। विश्लेषकों का मानना है कि इन दौरों से ओडिशा की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं। खासकर तब, जब बीजद का फैसला उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है। वहीं भाजपा राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए संगठनात्मक बदलाव और नए नेताओं को सामने लाने की तैयारी कर रही है।