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निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दरों में भारी कटौती के बाद उठा सवाल
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देश के महंगे शहरों में से एक हो गई है ओडिशा की राजधानी
भुवनेश्वर। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में आवास क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक निर्णय के बाद जीएसटी दरों में की गई भारी कटौती के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या भुवनेश्वर में लोगों का अपने घर का सपना सच होगा। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर देश के महंगे शहरों में से एक हो गई है।
अब जब जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दरों में भारी कटौती की गई है, जिससे आवासीय परियोजनाओं की लागत कम होगी और घरों की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। यह कदम त्योहारी सीजन से पहले खरीदारों और डेवलपर्स दोनों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, लेकिन क्या वास्तव में इसका लाभ क्रेताओं को मिल पाएगा, इसे लेकर ठीक उसी तरह से सवाल उठने लगे हैं, जैसे कि बीमा क्षेत्र में।
निर्माण सामग्री पर करों में कटौती
बैठक में लिये गए फैसले के तहत सीमेंट पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। ग्रेनाइट ब्लॉक्स पर कर 12 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत और पेंट, टाइल्स, इलेक्ट्रिकल्स जैसी सामग्रियों पर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर किया गया है। इन कटौतियों से निर्माण लागत में 3 से 5 प्रतिशत तक की कमी आने का अनुमान है।
डेवलपर्स और खरीदारों को लाभ
विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से डेवलपर्स को परियोजनाओं की लागत कम करने और समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी। इसलिए खरीदारों को मकानों की कीमतों में कमी का सीधा लाभ मिलना चाहिए।
ओडिशा के हाउसिंग मार्केट पर असर
ओडिशा के प्रमुख शहरों, भुवनेश्वर, कटक, पुरी, राउरकेला और ब्रह्मपुर, में आवासीय मांग लगातार बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक भुवनेश्वर में फिलहाल फ्लैट की औसत कीमत करीब 5,500 रुपये प्रति वर्ग फीट है, जो अब 500 रुपये तक घट सकती है। बाजार के जानकारों का मानना है कि इससे खरीदारों का बोझ कम चाहिए।
नौकरीपेशा वर्ग और आईटी कंपनियों की एंट्री से बढ़ेगी मांग
राज्य में विकास की रफ्तार तेज होने और बड़ी आईटी कंपनियों के आने से नौकरी करने वाला वर्ग भुवनेश्वर जैसे शहरों में तेजी से बढ़ेगा। ऐसे में यदि घरों की कीमतों पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में आवास की गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है।
सरकार को दखल देना होगा
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल जीएसटी कटौती से ही समस्या हल नहीं होगी। सरकार को फ्लैट और घरों की कीमतों के निर्धारण में भी हस्तक्षेप करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जमीन की कीमत, बिल्डरों का मुनाफा, बिचौलियों का दबाव और कर प्रणाली जैसे कई कारक मकानों की कीमतें बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इन पहलुओं को नियंत्रित किए बिना आवासीय संकट का समाधान संभव नहीं है।
व्यापक आर्थिक प्रभाव
निर्माण सामग्री की लागत घटने से स्टील, लॉजिस्टिक्स और फिटिंग्स जैसी सहायक उद्योगों को भी फायदा होगा। साथ ही रुकी हुई परियोजनाओं के पूरा होने की संभावना बढ़ेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों को स्थिर रखने की स्थिति में यह कदम घर खरीदने वालों के लिए डबल राहत साबित होगा।
त्योहारी सीजन में बढ़ेगी बिक्री
त्योहारी सीजन परंपरागत रूप से घरों की बिक्री का अहम समय होता है। इस दौरान उपभोक्ता भावना मजबूत रहती है। ऐसे में जीएसटी कटौती से मांग में तेजी आने की पूरी संभावना है। इसलिए अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी सरकार पर है कि वह घरों की कीमतें बढ़ाने वाले कारकों पर सख्ती से नियंत्रण करे, ताकि भुवनेश्वर जैसे शहरों में आवास आम आदमी की पहुंच से बाहर न हो।