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बीपीयूटी अपने फरमान पर करे पुनर्विचार – विद्यार्थी परिषद

  •  कहा- छात्र-छात्राओं के हितों के विरोध में है निर्णय

भुवनेश्वर. ओडिशा के तकनीकी विश्वविद्यालय बीजू पटनायक यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाजी (बीपीयूटी) द्वारा अंतिम सेमिस्टर के छात्र-छात्राओं के लिए आनलाइन परीक्षा के लिए जो नियमावली (गाइडलाइन) जारी की है, वह छात्र- छात्राओं को परेशान करने वाली है. यह उनके हितों के खिलाफ है. इस कारण बीपीयूटी प्रशासन को चाहिए कि वह इस पर पुनर्विचार करे.
विद्यार्थी परिषद के टेक्निकल सेल के प्रदेश संयोजक प्रीतम दास ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा 27 पृष्ठ की जो नियमावली जारी की गई है, उसे कोई भी विद्यार्थी पूरा नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि नियमावली में कंप्युटर की आवश्यकता बताई गई, जो ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्र–छात्राओं के लिए पूरा करना संभव नहीं है. साथ ही इंटरनेट की उपलब्धता भी कही गई है. उन्होंने कहा कि बीपीयूटी अपने छात्र-छात्राओं से परीक्षा के रिजल्ट व प्रमाण पत्र देने में यह कहते हुए बिलंब करता है कि इंटरनेट नहीं है. अब विश्वविद्यालय स्वयं ही परीक्षा के लिए इंटरनेट की बात कर रहा है.
उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में बिजली काटी जा रही है. परीक्षा करने पर कम से कम तीन घंटे परीक्षा के समय बिजली नहीं काटी जाएगी, इस तरह की बातचीत विश्वविद्यालय प्रशासन को बिजली विभाग से करनी चाहिए. अन्यथा छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा में शामिल हो पाना आसान नहीं होगा.
दास ने कहा कि परीक्षा का प्रबंधन करने वाली कंपनी का चयन किस आधार पर किया गया, उस पर भी सवाल उठ रहा है. विगत वर्षों में बीपीयूटी में व्यापक भ्रष्टाचार होने की बात समाचार पत्रों में प्रकाशित होता रहा है. इसलिए परिषद मांग करती है कि छात्र-छात्राओं को परेशान न कर उनके भविष्य की चिंता कर प्रशासन को कदम उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन छात्रों के हित व वास्तविकता को नजर अंदाज करता है, तो उसके खिलाफ छात्रों में असंतोष भड़कने की आशंका है. अगर ऐसा होता है तो प्रशासन ही इसके लिए जिम्मेदार होगा.

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