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खुफिया एजेंसियों ने किया चौंकाने वाला खुलासा
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कुछ खनन कंपनियों पर माओवादी संगठनों को गुपचुप तरीके से विस्फोटक पहुंचाने का आरोप
भुवनेश्वर। ओडिशा खुफिया एजेंसियों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें कुछ खनन कंपनियों पर माओवादी संगठनों को गुपचुप तरीके से विस्फोटक पहुंचाने का आरोप लगा है। जैसे-जैसे पूरे देश में नक्सल विरोधी अभियान तेज हो रहा है, वैसे-वैसे पुलिस ने इस गहरी साठगांठ का खुलासा किया है, जो राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
जानकारी के अनुसार, ये कंपनियां फर्जी नामों और बेनामी मालिकों के जरिए संचालित हो रही थीं और खदानों से निकलने वाले विस्फोटकों को माओवादी गुटों तक पहुंचा रही थीं।
यह खुलासा तब हुआ जब गंजाम जिले के चामखंडी इलाके के जगन्नाथपुर गांव में एक गोशाला से पुलिस ने 10 टन अवैध विस्फोटक बरामद किए। शुरुआती जांच से पता चला है कि पत्थर खदानों के नाम पर लाए गए ये विस्फोटक माओवादी गुटों को भेजे जा रहे थे।
एक ही कंपनी से जुड़ाव
एडीजी (एंटी-नक्सल ऑपरेशन्स) संजीव पंडा ने बताया कि गंजाम से बरामद विस्फोटक उसी कंपनी के हैं, जिसके समान विस्फोटक 17 जुलाई को कंधमाल जिले के गुम्मा जंगल से भी मिले थे। इन दोनों खेपों का संबंध एपी एक्सप्लोसिव्स प्राइवेट लिमिटेड की शाखा एपेक्स बूस्ट से पाया गया है, जो कथित तौर पर बिना वैध लाइसेंस के आंध्रप्रदेश से सामग्री मंगा रही थी।
गिरफ्तारों से हो रही है पूछताछ
इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ के दौरान इनके तार सीधे माओवादी नेटवर्क से जुड़ते पाए गए हैं। इस खुलासे के बाद राज्यभर में खनन और पत्थर खदानों की सघन जांच शुरू कर दी गई है।
लाल गलियारों में चौकसी बढ़ी
जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि खनन कंपनियां माओवादियों को डर के कारण सहयोग कर रही हैं या लालच में। केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश को माओवादी मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है, जिसके चलते प्रभावित इलाकों में कार्रवाई और तेज कर दी गई है।
पुलिस की चिंता
पिछले दिनों सुंदरगढ़ में विस्फोटक से लदे ट्रकों की लूटपाट और विभिन्न जिलों में बरामदगी की घटनाओं ने भी इसी तरह के कॉरपोरेट-माओवादी गठजोड़ की ओर इशारा किया था।
एडीजी संजीव पंडा ने कहा कि हमने कंधमाल जिले के तुमुडिबंधा इलाके से करीब 9.4 टन विस्फोटक बरामद किए। पिछले महीने माओवादियों के ठिकाने से लगभग 600 डेटोनेटर भी मिले थे। दोनों ही खेप एक ही कंपनी की बताई जा रही है। इससे साफ है कि माओवादियों तक ये विस्फोटक लगातार पहुंचाए जा रहे थे। इस खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है। पुलिस का मानना है कि इस तरह की साठगांठ को उजागर करना और सप्लाई चेन को तोड़ना माओवादी गतिविधियों को खत्म करने के लिए बेहद जरूरी है।