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बाल संरक्षण को सशक्त करने की दिशा में राज्य सरकार का बड़ा फैसला
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने बाल सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य भर के रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय लोक सेवा भवन में आयोजित राज्य स्तरीय बाल संरक्षण समीक्षा बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने की।
मिशन वात्सल्य योजना पर जोर
बैठक में केंद्र सरकार की मिशन वात्सल्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा हुई। इस योजना का उद्देश्य बच्चों के समग्र कल्याण और पुनर्वास को सुनिश्चित करना है। अधिकारियों ने बाल सुरक्षा बढ़ाने, दत्तक ग्रहण प्रक्रिया को सरल बनाने और जरूरतमंद बच्चों तक सुविधाएं पहुंचाने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया।
बालगृहों में रह रहे 98% बच्चों को मिला आधार
बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा में संचालित 160 बाल देखभाल संस्थानों और 33 स्वतंत्र दत्तक ग्रहण एजेंसियों के माध्यम से बाल संरक्षण कार्य किए जा रहे हैं। राज्य के बालगृहों में रह रहे 98% बच्चों को आधार से जोड़ा जा चुका है, जो डिजिटल पहचान और योजनाओं तक पहुंच के लिए जरूरी है।
आशिर्वाद योजना से जुड़े 51,000 से अधिक बच्चे
राज्य सरकार द्वारा संचालित आशिर्बाद योजना के तहत अब तक 51,000 से अधिक अनाथ या असुरक्षित बच्चों को वित्तीय और सामाजिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। यह योजना बच्चों को बेहतर जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सहायता करती है।
बेटियों को मिल रही है प्राथमिकता
बैठक में यह भी बताया गया कि पिछले तीन वर्षों में देशभर में दत्तक ग्रहण की दर में वृद्धि हुई है, और इसमें बालिकाओं को बालकों की तुलना में अधिक प्राथमिकता दी जा रही है।
राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि राज्य सरकार हर जरूरतमंद बच्चे तक सुरक्षा, देखभाल और उज्ज्वल भविष्य के अवसर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। चाइल्ड हेल्प डेस्क की स्थापना से लापता, असहाय या संकट में फंसे बच्चों को त्वरित सहायता मिलेगी और उन्हें पुनर्वास की प्रक्रिया में आसानी होगी।