Home / Odisha / पुरी श्रीमंदिर में हुआ भगवान जगन्नाथ का बड़ा महा स्नान

पुरी श्रीमंदिर में हुआ भगवान जगन्नाथ का बड़ा महा स्नान

  • बालक के उल्टी करने से रुका दर्शनों का सिलसिला

  • सावन के दूसरे सोमवार को उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

  • भितर कठा के पास एक बच्चे के उल्टी करने पर हुई विशेष शुद्धिकरण प्रक्रिया संपन्न

पुरी। भगवान जगन्नाथ के श्रीमंदिर में सोमवार को सावन माह के दूसरे सोमवार के अवसर पर जब श्रद्धालु भारी संख्या में दर्शनों के लिए उमड़े हुए थे, उसी दौरान एक अप्रत्याशित घटना के चलते मंदिर परिसर में दर्शनों का क्रम रोकना पड़ा। मंदिर के भीतर भितर कठा क्षेत्र के पास एक छोटे बच्चे के उल्टी करने से परंपरा के अनुसार श्रीविग्रह और मंदिर क्षेत्र की पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से बड़ा महास्नान की विशेष निति संपन्न की गई।

यह घटना उस समय हुई जब सुबह की प्रमुख नितियां मंगल आरती, मैलामा, ताड़पा लागी आदि के संपन्न होने के बाद श्रद्धालुओं के लिए भगवान के दर्शन आरंभ हो चुके थे। जैसे ही यह घटना सामने आई, श्रीमंदिर प्रशासन ने तुरंत आम दर्शन को स्थगित कर पूरे क्षेत्र में शुद्धिकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी।

पवित्रता की रक्षा हेतु हुई विशेष अनुष्ठानिक प्रक्रिया

पुरी श्रीमंदिर में बड़ा महास्नान एक अत्यंत दुर्लभ और विशेष अनुष्ठान है, जो तभी संपन्न किया जाता है जब मंदिर परिसर में कोई ऐसी घटना घटती है जिससे क्षेत्र की पवित्रता भंग होती हो, जैसे कि खून गिरना, मूत्र विसर्जन या उल्टी आदि। इस स्थिति में परंपरानुसार पूरे स्थल की शुद्धि और देव विग्रहों की विशेष स्नान विधि की जाती है। श्रीजगन्नाथ मंदिर के विद्वान सेवायतों और पुरोहितों ने परंपराओं का पालन करते हुए भितर कठा क्षेत्र और संबंधित क्षेत्रों में शुद्धिकरण किया और उसके उपरांत भगवान जगन्नाथ का बड़ा महास्नान संपन्न हुआ। यह अनुष्ठान भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराकर आध्यात्मिक और भौतिक स्तर पर शुद्धता की पुनः स्थापना की विधि है।

अचानक रोक से श्रद्धालु परेशान

यह घटना ऐसे समय घटी जब लाखों श्रद्धालु सावन के दूसरे सोमवार पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन हेतु पुरी पहुंचे थे। मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शन रोक देने से श्रद्धालुओं को असुविधा का सामना करना पड़ा, लेकिन अधिकतर श्रद्धालु मंदिर परंपरा और श्रीविग्रह की शुद्धता के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए शांतिपूर्वक प्रतीक्षा करते रहे। मंदिर प्रशासन ने बताया कि शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोठा भोग अर्पित किया जाएगा और उसके उपरांत ही भगवान के आम दर्शन फिर से आरंभ होंगे। कोठा भोग अर्पण भगवान की दिव्य सेवा व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है और पवित्रता की पूर्ण बहाली के उपरांत ही यह संभव होता है।

संस्कारों और परंपराओं का पालन ही श्रीमंदिर की विशेषता

पुरी श्रीमंदिर की यह विशेषता रही है कि यहां हर छोटी-बड़ी घटना को परंपरा के अनुसार गंभीरता से लिया जाता है। भितर कठा क्षेत्र मंदिर परिसर का सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, जहां भगवान का प्रत्यक्ष सान्निध्य माना जाता है। ऐसे में वहां किसी भी प्रकार की अशुद्धि या दुर्घटना होने पर उसका शुद्धिकरण किया जाना अनिवार्य होता है।

मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा और दिव्यता की रक्षा का भाव है। बड़ा महास्नान जैसे अनुष्ठान भगवान जगन्नाथ के दिव्य स्वरूप को पवित्र बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं।

भविष्य की घटनाओं से निपटने के लिए सतर्क रहेगा प्रशासन

इस प्रकार की अप्रत्याशित घटनाओं से निपटने के लिए अब मंदिर प्रशासन और अधिक सतर्कता बरतेगा। खासकर उत्सवों, पर्वों और विशेष अवसरों पर जब भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में एकत्र होते हैं, तो ऐसी स्थितियों को तुरंत संभालने और परंपराओं के अनुरूप प्रतिक्रिया देने के लिए एक समर्पित योजना बनाई जा रही है।

Share this news

About desk

Check Also

ओडिशा में विमानन क्षेत्र को नई उड़ान

भुवनेश्वर में बनेगा पहला एमआरओ सेंटर 13 नई हवाई सेवाएं शुरू भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *