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मयूरभंज और कंधमाल जिलों में दो आवासीय स्कूलों की छात्राएं गर्भवती

  • बाल यौन शोषण की आशंका में पुलिस जांच शुरू

  • मयूरभंज में आठवीं की छात्रा ने सहमति से बनाया संबंध

भुवनेश्वर। बालेश्वर और पुरी के बाद अब ओडिशा के मयूरभंज और कंधमाल जिलों में दो छात्राओं के गर्भवती होने की घटनाओं ने लोगों को झकझोर दिया है। इन दोनों जिले के दो अलग-अलग सरकारी आवासीय स्कूलों में पढ़ने वाली कक्षा आठवीं और दसवीं की दो नाबालिग छात्राएं गर्भवती पाई गई हैं।

यह चौंकाने वाला मामला शनिवार को उस समय सामने आया, जब ग्रीष्मावकाश के बाद दोनों छात्राएं बीमार पाई गईं और उनकी शारीरिक स्थिति की जांच कराई गई।

इन मामलों ने राज्य की आवासीय शैक्षणिक संस्थाओं में बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दोनों मामलों में संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

बांगिरीपोसी थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक सेवाश्रम में पढ़ने वाली कक्षा 8वीं की छात्रा शनिवार सुबह अचानक बीमार हो गई। स्कूल प्रबंधन ने उसे बांगीरिपोसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां चिकित्सकों ने परीक्षण के बाद बताया कि वह लगभग दो महीने की गर्भवती है। प्रारंभिक पूछताछ में छात्रा ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान अपने गांव में एक नाबालिग लड़के के साथ उसका ‘सहमति से संबंध’ बना था। स्कूल प्रशासन ने छात्रा की मां को जानकारी दी, जिसके बाद मां ने बांगिरीपोसी थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी लड़के को पूछताछ के लिए बुलाया है और जांच जारी है।

छात्रावास अधीक्षिका की शक पर हुई मेडिकल जांच

कंधमाल जिले के एक एससी विकास विभाग द्वारा संचालित सरकारी आवासीय स्कूल में कक्षा 10वीं की छात्रा की गर्भावस्था का खुलासा तब हुआ, जब छात्रावास की अधीक्षिका ने देखा कि छात्रा ने गर्मी की छुट्टियों के बाद सैनिटरी नैपकिन नहीं लिया।

संदेह होने पर स्कूल स्टाफ ने छात्रा की मेडिकल जांच कराई, जिसमें उसकी गर्भावस्था की पुष्टि हुई। इसके बाद छात्रा के परिवार को बुलाकर जानकारी दी गई और स्कूल प्रधानाध्यापक ने तुरंत तुमुडिबंधा थाने में मामला दर्ज कराया।

परिवारों ने जताई अनभिज्ञता

दोनों मामलों में लड़कियों के परिजनों ने दावा किया कि उन्हें अपनी बेटियों की स्थिति की जानकारी स्कूल से सूचना मिलने के बाद ही हुई। इन घटनाओं के सामने आने के बाद राज्यभर में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता गहराती जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और बाल अधिकार संगठनों ने सरकार से नाबालिगों के लिए सुरक्षित और जवाबदेह वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की है।

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