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यौन उत्पीड़न व्यक्तिगत गरिमा और अधिकारों का उल्लंघन
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ओडिशा के मुख्य सचिव ने सभी विभागों को लिखा पत्र
भुवनेश्वर। ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने राज्य के सभी सरकारी विभागों और संस्थानों को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 – जिसे आमतौर पर पीओएसएच अधिनियम कहा जाता है, के कड़ाई से और समयबद्ध कार्यान्वयन के स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, आयुक्त-सह-सचिवों, राजस्व मंडल आयुक्तों और जिलाधिकारियों को संबोधित पत्र में सभी कार्यस्थलों और शैक्षणिक संस्थानों में इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की महत्ता पर बल दिया है।
मुख्य सचिव ने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न न केवल व्यक्तिगत गरिमा और अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह मनोबल, उत्पादकता और समान अवसरों को भी प्रभावित करता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पीओएसएच अधिनियम का अनुपालन केवल एक कानूनी दायित्व नहीं है, बल्कि यह संस्थागत जवाबदेही और विश्वास की संस्कृति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आंतरिक समिति का गठन करना अनिवार्य
आहूजा ने अधिनियम के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों को रेखांकित किया है, जिनका तत्काल अनुपालन आवश्यक है। इसके तहत प्रत्येक संस्थान जिसमें दस या अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, उन्हें आंतरिक समिति का गठन करना अनिवार्य है, जो यौन उत्पीड़न की शिकायतों की सुनवाई और समाधान के लिए जिम्मेदार होगी (धारा 4)। इसके अतिरिक्त, अधिनियम की धारा 19 के तहत सभी नियोक्ताओं, जिनमें शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख भी शामिल हैं, को छात्रों और कर्मचारियों के लिए नियमित रूप से जागरूकता और उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने होंगे।
शिकायतों की त्वरित और समयबद्ध जांच की जानी चाहिए
धारा 9 और 11 के अनुसार, शिकायतों की त्वरित और समयबद्ध जांच की जानी चाहिए, जिसके लिए समिति के सदस्यों और अध्यक्षों का क्षमता विकास आवश्यक है। सभी संस्थानों को शिकायतों का रिकार्ड बनाए रखना और उनकी वार्षिक स्थिति रिपोर्ट संबंधित प्राधिकरणों को प्रस्तुत करना भी अनिवार्य है। इसके साथ ही, संस्थान प्रमुख को अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन और शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी दी गई है।
तत्काल प्राथमिकता पर पूरा करें
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि सभी प्रशासनिक प्रमुख निम्नलिखित कार्यों को तत्काल प्राथमिकता पर पूरा करें: सभी शैक्षणिक और प्रशिक्षण संस्थानों में आंतरिक समितियों का गठन या पुनः प्रमाणीकरण किया जाए, आगामी छह महीनों तक मासिक बैठकें आयोजित की जाएं और इसके बाद प्रति तिमाही बैठकें हों। सभी संस्थानों में आंतरिक समिति और “शी बाक्स ” पोर्टल की जानकारी प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित की जाए। कर्मचारियों और छात्रों के लिए नियमित रूप से जागरूकता और प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएं। अनुपालन की निगरानी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण और छात्रों से संवाद के माध्यम से सुनिश्चित की जाए। संस्थानों के प्रमुखों को किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनुपालन में चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसके अलावा, सभी संस्थानों को “शी बाक्स ” पोर्टल पर आवश्यक जानकारी समय पर अपलोड करनी होगी और इसकी शिकायत सुविधा का व्यापक प्रचार किया जाए।
15 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करें
राज्य सरकार ने यह दोहराया है कि वह सभी कार्यस्थलों और शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। जिला प्रशासन से अपेक्षा की गई है कि वे तत्परता और गंभीरता के साथ इन निर्देशों को लागू करें। अंत में, मुख्य सचिव ने सभी विभागीय प्रमुखों से आग्रह किया है कि वे संस्थानों के निरीक्षण के दौरान पीओएसएच अधिनियम के कार्यान्वयन की समीक्षा करें और महिला एवं बाल विकास विभाग को 15 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करें।