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छात्रा की दोस्त ने लगाए गंभीर आरोप
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कहा– राजनीतिक साजिश और मानसिक प्रताड़ना ने ले ली जान
बालेश्वर। फकीर मोहन कॉलेज की छात्रा सौम्यश्री की दर्दनाक आत्महत्या के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। मृतका की करीबी मित्र और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की सदस्य कशिश दास ने पूरे मामले को राजनीतिक साजिश और मानसिक उत्पीड़न का परिणाम बताया।
काशिस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मृतका को उसकी राजनीतिक विचारधारा के कारण कॉलेज में लगातार हिंसात्मक मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा। जीते जी उसे अपमानित किया गया और मरने के बाद हम न्याय के लिए रो रहे हैं।
200-300 छात्रों ने किया एचओडी का समर्थन
कशिश ने दावा किया कि जब छात्रा ने कुछ मुद्दों को लेकर अपनी बात रखी, तो 200 से अधिक छात्र एचओडी के समर्थन में खड़े हो गए और मृतका की चरित्र पर सवाल खड़े किए गए। अगर मैं सब कुछ कह दूं तो कई लोगों को ठेस पहुंचेगी, लेकिन हमारी दोस्त जिंदा जल गई। असली दोषियों को भी वही महसूस होना चाहिए।
‘प्रमाण लाओ, वरना कार्रवाई होगी’
कशिश ने उस दिन की घटना को याद करते हुए कहा कि जब उसने खुद को आग लगाई, उससे पहले प्राचार्य ने कहा कि वह अपने आवेदन के समर्थन में प्रमाण प्रस्तुत करे, नहीं तो कार्रवाई उसके खिलाफ होगी। वह पूरी तरह असहाय हो गई थी। उन्होंने कहा कि लोग यह पूछ रहे हैं कि दोस्त उसके साथ क्यों नहीं थे। लंच ब्रेक में हम घर गए थे, लेकिन हमने कुछ छात्रों से कहा था कि उस पर नजर रखें। उसे बार-बार कहा गया कि साबित करो। और जब वह नहीं कर सकी, तो उसने चरम कदम उठा लिया।
पेट्रोल कहां से आया – अब भी रहस्य
जब उनसे पूछा गया कि पेट्रोल कहां से आया, तो कशिश ने कहा कि यह अब भी एक रहस्य है। जिस दिन यह सामने आ जाएगा, उस दिन जांच का आधा काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने लगातार निलंबन की मांग की थी, क्योंकि वह छात्रा मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रही थी।
कशिश ने कहा कि उसने बताया था कि छोटे-छोटे बच्चे भी कह रहे थे कि दीदी का चरित्र ठीक नहीं है। वह यह सब सह नहीं पाई। टीचर्स और विपक्ष ने राजनीति के लिए इस मुद्दे का उपयोग किया। अगर सबने उस वक्त साथ दिया होता, तो शायद आज वह हमारे बीच होती।
लेट होने पर क्लास में नो इंट्री
कशिश ने कहा कि मृतका कॉलेज की अनुशासित छात्रा थी, लेकिन अगर वह 2-3 मिनट लेट हो जाती थी तो उसे क्लास में नहीं घुसने दिया जाता था। वह जब सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती, तो उसके घरवालों से कहा जाता कि वह पढ़ाई नहीं कर रही। मीडिया के सामने उसकी आंखों से गिरे आंसू भी सिस्टम को नहीं पिघला सके। वह अकेली नहीं जली, हम सब अंदर से जल रहे हैं। जब तक निष्पक्ष जांच नहीं होती, हम चुप नहीं बैठेंगे।