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21वीं सदी में रावेंशा की संस्कृति विश्व में एक नया अध्याय रचेगी – धर्मेन्द्र 

  •  रावेंशा विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति के साथ शामिल हुए केंद्रीय मंत्री

भुवनेश्वर। रावेंशा विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में हम सभी ओड़िया लोगों के लिए एक संस्कृति, परंपरा और स्पंदन के समान है। 21वीं सदी में रावेंशा की यह सांस्कृतिक विरासत विश्व स्तर पर एक नया अध्याय आरंभ करेगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने, यह बात मंगलवार को विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह में कही।

इस भव्य समारोह में केंद्रीय मंत्री ने उन छात्रों को बधाई दी, जिन्होंने माननीय राष्ट्रपति के कर-कमलों से मानद उपाधि एवं पीएचडी डिग्री प्राप्त की। उन्होंने कहा कि रावेंशा विश्वविद्यालय, जो ओडिशा की अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का सजीव साक्षी रहा है, वहां आना उनके लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है।

यह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर योगदान देने वाला एक सम्मानजनक संस्थान है। अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए जो बड़े जनआंदोलन हुए, उनमें यह संस्था एक प्रमुख केंद्र रही है। तत्कालीन महान विभूतियों के नेतृत्व में यह संस्थान भाषायी आंदोलन के माध्यम से ओडिशा में नवजागरण की कल्पना को साकार किया। जितना पवित्र महाप्रभु का तीर्थस्थल है, उतना ही पवित्र है रेवेंशा। आज जो स्वरूप रावेंशा विश्वविद्यालय का है, वह भविष्य के ओडिशा का मार्गदर्शन करेगा।

धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि आज के समसामयिक जीवन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मांग तेजी से बढ़ रही है। यदि एआई से रावेंशा और राष्ट्रवाद के संबंध में प्रश्न किया जाए, तो उत्तर मिलेगा कि ओड़िया राष्ट्रवाद और रावेंशा विश्वविद्यालय के बीच एक अद्वितीय संबंध है। ओड़िया राष्ट्रवादी आंदोलन का मुख्य मंच रहा है रावेंशा विश्वविद्यालय।

वर्ष 2036 में ओडिशा भाषा-आधारित स्वतंत्र राज्य के गठन की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा और 2047 में भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत और विकसित ओडिशा के सपने को साकार करने की दिशा में रावेंशा एक प्रेरणादायक भूमिका निभाएगा। इसी उद्देश्य से प्रधान ने विश्वविद्यालय के छात्रों का आह्वान किया कि वे इस दिशा में सपने देखें और कार्य करें।

उन्होंने यह भी कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनने की दिशा में बढ़ना चाहिए। ओडिशा में बौद्ध धर्म और कलिंग युद्ध के इतिहास तथा उनकी वास्तविकता को यदि एआई के माध्यम से प्रस्तुत किया जाए, तभी 21वीं सदी में ओडिशा वैश्विक नेतृत्व की प्रयोगशाला बन सकेगा। कार्यक्रम में छात्रों को मार्गदर्शन देने के लिए श्री प्रधान ने माननीय राष्ट्रपति को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल प्रो हरि बाबू कंभमपाटी, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा मामलों के मंत्री सूर्यवंशी सूरज, कटक के सांसद भर्तृहरि महताब समेत कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

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