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शिक्षा व्यवस्था पर उठा सवाल
बालेश्वर/भुवनेश्वर। फकीर मोहन (एफएम) ऑटोनॉमस कॉलेज, बालेश्वर में 12 जुलाई को आत्मदाह करने वाली छात्रा ने सोमवार रात इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। 90–95% तक झुलसी इस छात्रा को गंभीर अवस्था में पहले बालेश्वर जिला मुख्यालय अस्पताल और फिर एम्स भुवनेश्वर रेफर किया गया था। एम्स के बर्न्स आईसीयू में लगातार जीवन रक्षक प्रयासों के बावजूद छात्रा को बचाया नहीं जा सका और रात 11:46 बजे उसे मृत घोषित किया गया।
एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टरों के अनुसार, छात्रा के फेफड़े और गुर्दों ने आग से हुई अंदरूनी क्षति के कारण काम करना बंद कर दिया था। आग के धुएं से श्वसन तंत्र को भारी नुकसान हुआ, जिससे संक्रमण और अंग विफलता की स्थिति उत्पन्न हुई। आठ विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने चौबीसों घंटे निगरानी रखी, लेकिन जीवन नहीं बच पाया।
इस घटना ने राज्यभर में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। छात्रा ने कॉलेज के शिक्षा विभागाध्यक्ष समीर रंजन साहू पर मानसिक उत्पीड़न और अनुचित मांगें करने का आरोप लगाया था। आरोप है कि अगर उसने विरोध किया तो उसके शैक्षणिक जीवन को बर्बाद करने की धमकी दी गई। छात्रा ने बार-बार कॉलेज प्रशासन से शिकायत की, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया।
12 जुलाई को पीड़िता ने कॉलेज के मुख्यद्वार के पास प्रदर्शन के दौरान पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग के हवाले कर दिया। घटना के चश्मदीद छात्रों और सहपाठियों ने बताया कि पीड़िता मानसिक रूप से बेहद पीड़ित थी और लगातार न्याय की गुहार लगा रही थी।
पीड़िता के पिता ने भी कॉलेज प्रशासन और संबंधित प्रोफेसर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया, धमकी दी गई कि यदि शिकायत नहीं हटाई गई तो उसे कॉलेज से निष्कासित कर दिया जाएगा और छह साल की बैकलॉग थोप दी जाएगी।
घटना के बाद छात्रों के भारी दबाव और विरोध के बीच उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज के प्राचार्य दिलीप घोष को निलंबित कर दिया, जबकि आरोपी एचओडी समीर साहू को गिरफ्तार किया गया। बाद में प्राचार्य को भी पुलिस ने हिरासत में लिया।
राज्य सरकार ने छात्रा के इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की थी और उसके परिजनों के लिए एम्स भुवनेश्वर के पास धर्मशाला में रहने की व्यवस्था की थी। मुख्यमंत्री मोहन माझी ने दिल्ली दौरे से लौटने के बाद स्वयं एम्स पहुंचकर छात्रा की स्थिति की जानकारी ली और जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया।
इस बीच, राज्यपाल हरिबाबू ने भी राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने राज्यपाल को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की और कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त अनदेखी और उत्पीड़न पर अब सख्त कार्रवाई जरूरी है।
बीजेडी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भुवनेश्वर में विरोध प्रदर्शन करते हुए सरकार को घेरा और कहा कि ओडिशा के कॉलेज अब सुरक्षित नहीं रह गए हैं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर दी है, जो कॉलेज प्रशासन, फैकल्टी और पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच करेगी।
यह हृदय विदारक घटना न केवल एक छात्रा की जान ले चुकी है, बल्कि ओडिशा की शिक्षा व्यवस्था की सड़ांध को उजागर कर गई है। राज्यभर में अब यह सवाल गूंज रहा है — क्या किसी छात्रा को न्याय मांगने की कीमत अपनी जान से चुकानी पड़ेगी?
अब पूरी नजर जांच समिति की रिपोर्ट और सरकार की कार्रवाई पर है, क्योंकि देर हुई तो यह आग पूरे तंत्र को झुलसा सकती है।