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युवाओं को जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए – कुलपति

  •  उच्च शिक्षा विभाग द्वारा त्वरित कार्रवाई का स्वागत किया

बालेश्वर। एफएम स्वायत्त महाविद्यालय की छात्रा द्वारा आत्मदाह की कोशिश को लेकर फकीर मोहन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संतोष कुमार त्रिपाठी ने रविवार को इसे “दुर्भाग्यपूर्ण, त्रासद और पूरी तरह से अस्वीकार्य” बताया। उन्होंने कहा कि इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है और इससे सभी शैक्षणिक संस्थानों को आत्ममंथन की ज़रूरत है।

प्रो त्रिपाठी ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा त्वरित कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि यह सही दिशा में एक कदम है, लेकिन साथ ही उन्होंने संस्थागत प्रणाली की कुछ कमियों की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि यह घटना केवल दुर्भाग्यपूर्ण नहीं बल्कि बेहद त्रासद है। छात्रा के साथ जो हुआ और उसके माता-पिता की मानसिक स्थिति को देखते हुए यह समाज के लिए भी शर्मनाक है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार हर शैक्षणिक संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति अनिवार्य होनी चाहिए।

आंतरिक शिकायत समिति ने देरी की

प्रो त्रिपाठी ने कहा कि आंतरिक शिकायत समिति के अध्यक्ष एक मनोविज्ञान के व्याख्याता हैं, इसलिए शिकायत करने वाली छात्रा को कम से कम परामर्श (काउंसलिंग) के लिए उनके पास भेजा जाना चाहिए था। शिकायत मिलने पर आईसीसी को 48 या 72 घंटे में अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए थी, जबकि सामान्य मामलों में 30 दिन की समय-सीमा है, संवेदनशील मामलों में इतनी देर नहीं होनी चाहिए। मुझे जानकारी मिली है कि समिति ने 9 जुलाई को रिपोर्ट सौंपी, लेकिन यदि उस आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो यह गंभीर लापरवाही है। उन्होंने कहा कि यदि समिति की सिफारिश में समीर साहू को तत्काल निलंबित करने की बात थी, तो उसी दिन या अगले दिन कार्रवाई होनी चाहिए थी। किसी भी तरह की शिथिलता माफ नहीं की जा सकती।

युवाओं से भावुक अपील

कुलपति ने सभी युवाओं से अति-भावुक होकर या जल्दबाज़ी में कोई कदम उठाने से बचने की अपील करते हुए कहा कि यदि किसी को न्याय नहीं मिल रहा है, तो इसका अर्थ यह नहीं कि वे स्वयं को दंडित करें। कोई भी निर्णय भावावेश या निराशा में नहीं लिया जाना चाहिए। युवाओं को संयम और धैर्य के साथ संविधान और संस्थाओं के माध्यम से समाधान खोजना चाहिए। यह बयान ऐसे समय आया है जब छात्रा की हालत अब भी एम्स भुवनेश्वर में गंभीर बनी हुई है, और राज्यभर में शैक्षणिक संस्थानों में जवाबदेही, सुरक्षा, और शिकायत निवारण प्रणाली को लेकर भारी बहस जारी है।

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