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भोगराई-बालियापाल के 50 गांव बाढ़ से कटे, हालात गंभीर
बालेश्वर। सुवर्णरेखा नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि से बालेश्वर जिले के भोगराई और बालियापाल ब्लॉक के लगभग 50 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं, जिससे कई पंचायतें पूरी तरह से जिला मुख्यालय से कट गई हैं। स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार, लगातार तीसरी बार इन इलाकों में नदी का पानी गांवों में घुसा है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
भोगराई ब्लॉक में 8 पंचायतों के अंतर्गत 20 गांव और बालियापाल ब्लॉक में 6 पंचायतों के अंतर्गत 30 गांव जलमग्न हो गए हैं। इन क्षेत्रों में आने-जाने के सभी मार्ग बंद हो गए हैं। कुंभीरागड़ी, कुसुड़ा, गबगा और अरुहाबृती पंचायतें बुरी तरह प्रभावित हैं, जहां गांव की सड़कों पर 4 फीट तक पानी भर गया है। इससे राहत और बचाव कार्यों में भी गंभीर बाधा उत्पन्न हो रही है।
गमछा पहनकर लाने जा रहे हैं पानी
कुल्हा गांव के कुछ निवासियों ने बताया कि यह तीसरी बार है जब गांव में नदी का पानी घुसा है। पीने के पानी के लिए हमें गमछा पहनकर बाहर जाना पड़ता है। गांव दो दिनों से पूरी तरह से जलमग्न है।
जलस्तर घटा, लेकिन खतरा अब भी बरकरार
हालांकि सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर थोड़ी कमी के साथ नीचे आया है, लेकिन अब भी यह खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिस कारण प्रशासन ने अब भी चेतावनी और अलर्ट जारी रखा है। हालात में सुधार के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं और स्थानीय लोग लगातार सतर्कता बरत रहे हैं।
झारखंड के चांडिल डैम पर निर्भर है नियंत्रण
बताया गया है कि सुवर्णरेखा नदी पर बाढ़ नियंत्रण की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि नदी का स्रोत और प्रमुख नियंत्रण झारखंड के चांडिल डैम पर निर्भर है। इस संबंध में जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता (प्रोक्योरमेंट) सागर मोहंती ने 2 जुलाई को कहा था कि ओडिशा के पास बाढ़ नियंत्रण का अधिकार नहीं है, चांडिल डैम से पानी छोड़ने की स्थिति पर ही राज्य में प्रभाव पड़ता है।
प्रशासन सतर्क, राहत कार्यों की कोशिशें जारी
प्रशासन की ओर से सतत निगरानी रखी जा रही है। आवश्यक स्थिति में नावों और राहत सामग्रियों की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन गांवों तक पहुंचने में बाधाएं बनी हुई हैं। बाढ़ प्रभावितों को अस्थायी शिविरों में पहुंचाने और खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास हो रहा है। स्थिति अभी गंभीर बनी हुई है और आने वाले 24 से 48 घंटे राज्य प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, खासकर यदि जलस्तर में फिर से वृद्धि होती है या बारिश जारी रहती है।