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भारत का स्वदेशी ‘अस्त्र’ मिसाइल परीक्षण सफल

  • ओडिशा तट पर हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल ने सटीकता से साधा निशाना

  • स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर के साथ सुखोई-30 एमके-I से हुआ परीक्षण

  •  मानवरहित हवाई लक्ष्यों पर दो प्रक्षेपण किए गए

बालेश्वर। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने 11 जुलाई को ओडिशा के समुद्र तट पर सुखोई-30 एमके-I प्लेटफॉर्म से स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर से लैस भारत में निर्मित बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) ‘अस्त्र’ का सफल परीक्षण किया। इस दौरान, अलग-अलग दूरी, लक्ष्य के पहलुओं और प्रक्षेपण प्लेटफॉर्म की स्थितियों पर उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्यों पर दो प्रक्षेपण किए गए। दोनों ही निशानों पर मिसाइलों ने उच्च सटीकता के साथ लक्ष्यों को भेद दिया।

इन सभी परीक्षणों के दौरान, सभी उप-प्रणालियों ने अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन किया, जिसमें आरएफ सीकर भी शामिल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। अस्त्र हथियार प्रणाली के दोषरहित प्रदर्शन की पुष्टि एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर द्वारा तैनात रेंज ट्रैकिंग उपकरणों द्वारा प्राप्त आंकड़ों के माध्यम से की गई। इन सफल परीक्षणों ने स्वदेशी सीकर के साथ अस्त्र हथियार प्रणाली की सटीकता और विश्वसनीयता को एक बार फिर सिद्ध किया है।

मारक क्षमता 100 किलोमीटर से अधिक

अस्त्र बीवीआरएएएम की मारक क्षमता 100 किलोमीटर से अधिक है और यह अत्याधुनिक मार्गदर्शन व नेविगेशन प्रणाली से सुसज्जित है। डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं के अलावा, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड सहित 50 से अधिक सार्वजनिक और निजी उद्योगों ने इस हथियार प्रणाली के सफल निर्माण में योगदान दिया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सराहना की

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आरएफ सीकर के डिजाइन और विकास में शामिल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, भारतीय वायुसेना तथा रक्षा उद्योग जगत की सराहना की है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी सीकर के साथ मिसाइल का सफल परीक्षण महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी में एक प्रमुख मील का पत्थर है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने सफल परीक्षण में शामिल सभी टीमों को बधाई दी।

डीआरडीओ और एचएएल समेत 50 से अधिक भारतीय संस्थानों का योगदान

अस्त्र मिसाइल का निर्माण और विकास डीआरडीओ के नेतृत्व में किया गया है, जिसमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) समेत 50 से अधिक सार्वजनिक और निजी भारतीय कंपनियों का योगदान रहा है। यह मिसाइल 100 किलोमीटर से अधिक दूरी तक दुश्मन के विमानों को नष्ट करने में सक्षम है और इसमें अत्याधुनिक गाइडेंस व नेविगेशन तकनीक शामिल है।

भारत को मिलेगी नई वायु श्रेष्ठता

‘अस्त्र’ मिसाइल की यह सफलता भारतीय वायुसेना को दुश्मन के विमानों को दूर से ही खत्म करने की क्षमता देगी। यह भारत को एयर-टू-एयर कॉम्बैट टेक्नोलॉजी में विश्वस्तरीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा और भविष्य में इसे अन्य लड़ाकू विमानों में भी एकीकृत किया जा सकेगा।

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