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तीसरे दिन भी न तो निजी बसें चलीं और न ही लोग अपने गंतव्य तक पहुंचे
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मरीजों, बुजुर्गों और कामकाजी लोगों की बढ़ी परेशानी
भुवनेश्वर/कटक। ओडिशा में ड्राइवरों की हड़ताल के कारण राज्यभर में यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। गुरुवार को लगातार तीसरे दिन भी न तो निजी बसें चलीं और न ही लोग अपने गंतव्य तक पहुंच सके। कटक के नेताजी सुभाष चंद्र बोस बस टर्मिनल और भुवनेश्वर के बारामुंडा बस स्टैंड पर हजारों यात्री घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन बसें नहीं आईं।
हड़ताल के कारण न केवल आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है, बल्कि मरीजों, बुजुर्गों और दफ्तर जाने वाले कर्मचारियों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कई परिवार अस्पताल से इलाज कराकर लौटने की कोशिश में बस स्टैंड पर फंसे रहे। कुछ यात्रियों ने ऑटो से 2000 रुपये तक किराया मांगने की शिकायत की।
एक यात्री रमेश प्रधान, जो अपने बीमार पिता को एससीबी अस्पताल इलाज के लिए लाए थे, ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा है कि अब हमें अनुगूल वापस जाना है, लेकिन कोई बस नहीं चल रही। ऑटो वाले 2000 रुपये मांग रहे हैं, जो हमारे लिए संभव नहीं है। एक महिला यात्री, जो अपने बच्चे का ऑपरेशन कराकर लौट रही थीं, ने कहा कि हमने अस्पताल से ऑटो लेकर बस स्टैंड पहुंचे, लेकिन अब आगे कैसे जाएं, कुछ समझ नहीं आ रहा।
खुर्दा की मीना बेहरा, जो एक निजी कंपनी में काम करती हैं, ने बताया कि मुझे रोज ऑफिस जाना होता है। तीसरे दिन भी नहीं जा सकी, और हमें छुट्टी का पैसा भी नहीं मिलता।
हड़ताल की वजह?
ऑल ओडिशा ड्राइवर महासंघ की ओर से शुरू की गई यह ‘स्टीयरिंग व्हील ऑफ’ हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही। ड्राइवर बेहतर कल्याण योजनाएं, पहचान और कार्यशर्तों में सुधार की मांग कर रहे हैं।
हालांकि सरकार और महासंघ के बीच कई दौर की बातचीत, जिसमें परिवहन मंत्री के आवास और खारवेल भवन में बैठकें हुईं, अब तक कोई हल नहीं निकल सका है।
सीमित सरकारी बसें और ओवरचार्जिंग ऑटो
हालांकि ‘आम बस’ जैसी सरकारी सेवाएं सीमित संख्या में चल रही हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं हैं। ऑटोचालक मनमाना किराया वसूल रहे हैं और कई जगह उपलब्ध भी नहीं हैं।
प्रशासन के सामने चुनौती
प्रदर्शन और हड़ताल से सार्वजनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। यात्रियों की भारी भीड़ और व्यवस्था की कमी ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।
लोगों ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप कर समाधान निकालने की अपील की है ताकि यातायात व्यवस्था सामान्य हो सके और आमजन को राहत मिले।