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पुरी में शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुई रथयात्रा

  • श्रीमंदिर में श्रद्धालुओं के लिए आनंद बाजार में खुलेगा महाप्रसाद वितरण

  • रथों से वापसी के बाद रत्नसिंहासन पर विराजे महाप्रभु

पुरी। महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा का समापन मंगलवार रात निलाद्रि बिजे अनुष्ठान के साथ शांतिपूर्ण वातावरण में हो गया। इसके साथ ही आज से पुरी श्रीमंदिर में एक बार फिर से नीलाचल महाप्रसाद का वितरण शुरू हो गया है। लाखों श्रद्धालु इस शुभ अवसर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को विधिपूर्वक ‘गोटी पहंडी’ परंपरा के तहत रथों से उतारकर मंदिर के अंदर रत्न सिंहासन पर स्थापित किया गया। इस पहंडी प्रक्रिया में पहले भगवान सुदर्शन, फिर बलभद्र और सुभद्रा तथा अंत में भगवान जगन्नाथ का प्रवेश हुआ। अब श्रीमंदिर में देवताओं के दर्शन होंगे।

निलाद्रि बिजे अनुष्ठान में सबसे विशेष क्षण तब आता है, जब मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ से नाराज होकर सिंहद्वार बंद करवा देती हैं। यह नाराजगी इस बात की प्रतीक होती है कि भगवान उन्हें गुंडिचा यात्रा में साथ नहीं ले गए। भगवान द्वारा क्षमा मांगने और रसगुल्ला भेंट करने के बाद ही मां लक्ष्मी द्वार खोलने की अनुमति देती हैं।

यह संवाद और समर्पण का अलौकिक दृश्य भगवान और देवी के मध्य प्रेम और पुनर्मिलन का प्रतीक बन गया है। इस पावन परंपरा से ही ओडिशा में रसगुल्ला उत्सव की प्रेरणा मिलती है।

देवताओं की वापसी के बाद से श्रीमंदिर में नियमित पूजा और नित्यभोग की परंपराएं बहाल हो गई हैं। भक्तगण दोपहर से आनंद बाजार में महाप्रसाद का लाभ ले रहे हैं। मंदिर प्रशासन ने इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां की हैं।

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