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निर्विरोध चुने गए प्रदेश अध्यक्ष
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लगातार दूसरा और कुल मिलाकर चौथा कार्यकाल शुरू
भुवनेश्वर। भाजपा के वरिष्ठ नेता मनमोहन सामल को एक बार फिर ओडिशा भाजपा की कमान सौंपी गई है। मंगलवार को वे निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुने गए। यह उनका लगातार दूसरा और कुल मिलाकर चौथा कार्यकाल है।
सोमवार को नामांकन प्रक्रिया के दौरान कोई अन्य उम्मीदवार सामने नहीं आया, जिससे सामल की ताजपोशी तय मानी गई थी। भाजपा के चुनाव पर्यवेक्षक संजय जायसवाल ने सामल के निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा की। इस मौके पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, चुनाव अधिकारी तथा सांसद प्रताप षाड़ंगी और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
मनमोहन सामल इससे पहले 1999–2000, 2000–2004 और मार्च 2023 से अब तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वे मंत्री और विधायक भी रह चुके हैं और प्रशासनिक तथा संगठनात्मक दोनों स्तरों पर उनका अनुभव व्यापक रहा है।
15 अप्रैल 1959 को भद्रक जिले में जन्मे मनमोहन सामल ओडिशा की राजनीति में एक अनुभवी और प्रभावशाली नेता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। भद्रक कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे 1979 में छात्र संघ अध्यक्ष निर्वाचित हुए और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर सक्रिय राजनीति की शुरुआत की।
एक अनुभवी नेता हैं सामल
भाजपा संगठन में विभिन्न स्तरों पर कार्य करते हुए सामल ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। वे पहले भी ओडिशा भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं और राज्य सरकार में राजस्व मंत्री तथा खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री जैसे अहम विभागों का दायित्व संभाल चुके हैं। 2004 में वे धामनगर विधानसभा सीट से विधायक भी निर्वाचित हुए थे। वह एक बार राज्यसभा के सांसद भी रहे ।
ओडिशा में ऐतिहासिक जीत का मिला है श्रेय
2024 के ओडिशा विधानसभा चुनावों में भाजपा की ऐतिहासिक जीत का श्रेय काफी हद तक सामल के नेतृत्व को दिया गया। उनकी रणनीतिक योजना, जमीनी स्तर पर संगठन विस्तार और प्रभावी जनसंपर्क अभियान ने 24 वर्षों से सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) को सत्ता से हटाने में अहम भूमिका निभाई। इस जीत के साथ भाजपा ने राज्य में पहली बार सरकार बनाई।
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने शुभकामनाएं दीं
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आपके नेतृत्व में भाजपा ने ओडिशा में नई पहचान बनाई है। मुझे विश्वास है कि आपका अनुभव और नेतृत्व राज्य के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
भविष्य की चुनौतियां
अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है पंचायत चुनाव की तैयारी के साथ-साथ सरकार और संगठन के बीच संतुलन बनाए रखना।