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वन और सीआरजेड मंजूरी में आई है अड़चन
भुवनेश्वर। श्री जगन्नाथ अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट परियोजना को लेकर राज्य सरकार सक्रिय हो गई है। इस परियोजना के लिए पर्यावरणीय और प्रक्रियागत मंजूरी में गंभीर अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर वन स्वीकृति और तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) से जुड़े मुद्दों के कारण यह 5631 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना अधर में लटक गई है।
वन सलाहकार समिति ने लगाई रोक
24 जून को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वन सलाहकार समिति ने इस परियोजना की मंजूरी को स्थगित कर दिया। समिति ने परियोजना स्थल पर प्रस्तावित 13,000 तटीय पेड़ों, मुख्यतः कैसुअरिना और बबूल की कटाई पर चिंता जताई। ये पेड़ पुरी के संवेदनशील समुद्री किनारे को चक्रवातों से बचाने में प्राकृतिक बायो-शिल्ड का काम करते हैं।
इसके अलावा, समिति ने ओलिव रिडले कछुओं के प्रजनन स्थल, इरावडी डॉल्फिन के निवास क्षेत्र और चिल्का झील की ओर प्रवास करने वाले पक्षियों के प्रमुख मार्गों के निकटता को लेकर भी आपत्ति जताई।
सरकार ने जुटाए विशेषज्ञ संस्थान
परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए ओडिशा सरकार ने वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएलआई) के एस्टुअरिन बायोलॉजी रीजनल सेंटर को विस्तृत पारिस्थितिक मूल्यांकन के लिए नियुक्त किया है। यह अध्ययन प्रवासी पक्षियों की उड़ानें, कछुओं का प्रजनन, डॉल्फिन की गतिविधियां और हवाई सुरक्षा से संबंधित जोखिमों का विश्लेषण करेगा और शमन रणनीतियां तय करेगा।
संरक्षण और प्रबंधन योजना प्रस्तुत
राज्य सरकार ने वन्यजीव संरक्षण योजना और आपदा प्रबंधन ढांचा प्रस्तुत किया है। इसमें चक्रवात शेल्टर, निर्माण के दौरान जैव विविधता निगरानी और यह प्रमाणित करना शामिल है कि परियोजना स्थल किसी भी महत्वपूर्ण आवास क्षेत्र से नहीं टकराता। सरकार ने वन भूमि के उपयोग की भी सफाई दी है कि कुल 471.34 हेक्टेयर क्षेत्र में से केवल 27.88 हेक्टेयर मुख्य ढांचे के लिए आवश्यक है। साथ ही, राज्य सरकार ने वनीकरण और पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का भी वादा किया है।
अवैध निर्माण पर सफाई
पूर्व निरीक्षण रिपोर्ट में बताए गए 1400 मीटर लंबे बाउंड्री वॉल को लेकर उठे सवालों पर राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि वन संरक्षण अधिनियम और सीआरजेड मानकों के अनुसार आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सीआरजेड मंजूरी की जरूरत
परियोजना क्षेत्र का कुछ हिस्सा सीआरजेड क्षेत्र के अंतर्गत आता है और नो-डेवलपमेंट जोन में है। पर्यावरण मूल्यांकन समिति ने राज्य सरकार को मंत्रालय के सीआरजेड डिवीजन से अतिरिक्त टिप्पणियां प्राप्त करने को कहा है। केवल तब जब स्टेज-1 वन मंजूरी और सीआरजेड आपत्तियों का समाधान हो जाएगा, पर्यावरणीय मंजूरी की सिफारिश को औपचारिक रूप दिया जा सकेगा।
निर्माण की दिशा में अगला कदम
सरकारी अधिकारी आशान्वित हैं कि एक बार पर्यावरण और वन मंजूरी मिलते ही सीआरजेड और वाइल्डलाइफ बोर्ड से संबंधित बाकी अनुमतियाँ भी शीघ्र प्राप्त होंगी। इसके बाद निर्माण कार्य आरंभ करने हेतु निविदा आमंत्रण जारी किया जा सकेगा।