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आदिवासियों की आजीविका को स्थापित होंगे जंगल उत्पादों के 100 प्रसंस्करण केंद्र

  • 76वां वन महोत्सव पर मुख्यमंत्री ने की घोषणा

  • इस वर्ष “एक पेड़ मां के नाम 2.0” अभियान के तहत 7.5 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे

  • 2036 तक 10 लाख ‘हरित आजीविका’ होगी सृजित

  • पर्यावरण पर्यटन के क्षेत्र में ओडिशा बनेगा एक मॉडल राज्य

 

भुवनेश्वर। 76वें वन महोत्सव के अवसर पर ओडिशा के मुख्यमंत्री ने आदिवासी समुदायों की आजीविका को सशक्त बनाने और राज्य को पर्यावरण पर्यटन में मॉडल बनाने की दिशा में कई अहम घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष “एक पेड़ मां के नाम 2.0” अभियान के तहत 7.5 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे, साथ ही राज्य भर में जंगल उत्पादों के 100 प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किए जाएंगे। सरकार का लक्ष्य है कि 2036 तक 10 लाख ‘हरित आजीविका’ सृजित कर ओडिशा को हरित विकास की मिसाल बनाया जाए।
वन महोत्सव कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि एक सुंदर और हरित ओडिशा का निर्माण विजन ओडिशा 2036 के अंतर्गत राज्य सरकार का एक प्रमुख लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामुदायिक नेतृत्व आधारित वन प्रबंधन के माध्यम से 10 लाख हरित आजीविकाएं सृजित की जाएंगी और ओडिशा को पर्यावरण पर्यटन के क्षेत्र में एक मॉडल राज्य के रूप में विकसित किया जाएगा।

5,000 करोड़ रुपये से अधिक की आय प्राप्त होने का लक्ष्य 

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘हरित ओडिशा योजना’ के तहत आदिवासियों की आजीविका बढ़ाने के लिए साल, केंदु, बांस और औषधीय पौधों से जुड़ी प्रोसेसिंग यूनिटों की स्थापना की जाएगी। इसके तहत 100 से अधिक प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापना की जाएगी, जिससे राज्य को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की आय प्राप्त होने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से पिछले वर्ष ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत राज्य में 6.69 करोड़ पौधे लगाए गए थे, जिससे ओडिशा ने पूरे देश में चौथा स्थान प्राप्त किया था। इस वर्ष ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ अभियान के तहत 7.5 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया है।

18 लाख ताड़ के पेड़ लगाने का लक्ष्य 

वज्रपात (आकाशीय बिजली) से बचाव के लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष 19 लाख ताड़ के पेड़ लगाए थे और इस वर्ष 18 लाख ताड़ के पेड़ लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सिमिलिपाल को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिलने के बाद ‘आम सिमिलिपाल योजना’ के तहत राज्य सरकार ने वहां वन्यजीवों और वनस्पतियों के संरक्षण हेतु 50 करोड़ रुपये की लागत से एक नई पहल शुरू की है। इसके साथ ही सिमिलिपाल जैसे जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित वनाग्नि पहचान प्रणाली को लागू किया गया है।

मानव-वन्यजीव संघर्ष के तहत अनुकंपा राशि में वृद्धि

मुख्यमंत्री ने बताया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में पीड़ितों को दी जाने वाली अनुकंपा राशि में वृद्धि की गई है। उन्होंने घोषणा की कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु वन्यजीव संघर्ष के दौरान होती है, तो पहले मिलने वाली 6 लाख की सहायता राशि को बढ़ाकर अब 10 लाख कर दिया गया है। इसके साथ ही अन्य मुआवजा राशियों में भी वृद्धि की गई है।

पुरस्कारों का हुआ पुनर्गठन, राशि बढ़ाई गई

मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 मार्च, विश्व वानिकी दिवस, 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस, जुलाई माह में वन महोत्सव सप्ताह और अक्टूबर माह में वन्यजीव सप्ताह के अवसर पर विभिन्न कर्मचारियों, संस्थाओं और विशिष्ट व्यक्तियों को पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। चूंकि यह एक सामाजिक उत्तरदायित्व से जुड़ा विषय है, अतः सभी को और अधिक प्रोत्साहित करने की आवश्यकता महसूस की गई। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इन सभी पुरस्कारों का पुनर्गठन किया है। कई पुरस्कारों की संख्या और पुरस्कार राशि में भी वृद्धि की गई है। ये संशोधित पुरस्कार आज से ही प्रभावी कर दिए गए हैं।

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