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ओडिशा में बारिश का कहर, हीराकुद से लेकर नुआपड़ा तक संकट के बादल

  • भारी बारिश से कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट

  • जलाशयों से छोड़ा जा रहा पानी

  •  झारसुगुड़ा के मंदिरों में भरा बाढ़ का पानी

  • नुआपड़ा में दीवार गिरने से दो महिलाओं की मौत

भुवनेश्वर/संबलपुर/झारसुगुड़ा। ओडिशा में मानसून ने विकराल रूप धारण कर लिया है। मौसम विभाग ने कई जिलों में भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी जारी करते हुए ऑरेंज और येलो अलर्ट घोषित किया है। हीराकुद जलाशय के जलस्तर में तेजी से वृद्धि के चलते 20 फाटक खोले गए हैं, जिससे निचले इलाकों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। झारसुगुड़ा में शिव मंदिर का गर्भगृह पानी में डूब गया, वहीं जाजपुर में बैतरनी नदी किनारे कटाव से तटबंध पर खतरा मंडरा रहा है। इस बीच, नुआपड़ा में एक निर्माणाधीन पोल्ट्री फार्म की दीवार गिरने से दो महिलाओं की मौत हो गई और एक बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया है। 12 जुलाई तक मूसलधार बारिश की संभावना के बीच पूरे राज्य में प्रशासन हाई अलर्ट पर है।

हीराकुद के निचले इलाकों के लिए सतर्कता जारी

महानदी बेसिन के ऊपरी हिस्सों में लगातार हो रही मूसलधार बारिश के कारण हीराकुद बांध का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए सोमवार को प्रशासन ने 20 फाटकों को खोलकर बाढ़ का पानी छोड़ना शुरू कर दिया, जिससे नदी के निचले इलाकों में चिंता की लहर दौड़ गई है।

हीराकुद बांध का जलस्तर 609.79 फीट पर पहुंचा

जल संसाधन विभाग के अनुसार, हीराकुद बांध का वर्तमान जलस्तर 609.79 फीट पर पहुंच गया है। बांध में प्रति सेकंड 3,42,453 क्यूसेक पानी का प्रवाह हो रहा है, जबकि 3,35,649 क्यूसेक पानी को विभिन्न फाटकों से छोड़ा जा रहा है।

अब भी जलप्रवेश अधिक, अगले 48 घंटे अहम

अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल बांध में पानी का प्रवेश (इनफ्लो) बहाव (आउटफ्लो) से अधिक है, जिससे जलाशय का स्तर लगातार बढ़ रहा है। आने वाले 48 घंटों में छत्तीसगढ़ और ओडिशा के ऊपरी हिस्सों में और बारिश की संभावना जताई गई है, जिससे बांध में पानी का बहाव और तेज हो सकता है।

 बांध के फाटकों की बढ़ सकती है और संख्या 

अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अतिरिक्त फाटकों को खोलने का निर्णय वास्तविक समय के आंकड़ों और निचले इलाकों की स्थिति को देखकर लिया जाएगा।

महानदी डेल्टा क्षेत्र में अलर्ट

हालांकि निचले इलाकों के लिए बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी गई है, लेकिन विभाग का कहना है कि अभी व्यापक स्तर पर बाढ़ की स्थिति नहीं बनी है। फिर भी नदी किनारे रहने वाले लोगों को सावधान रहने और नदी के पास न जाने की सलाह दी गई है।

फेज वाइज बाढ़ प्रबंधन की शुरुआत

हीराकुद बांध से इस साल पहली बार रविवार सुबह 10 बजे सातवें फाटक से पानी छोड़ा गया था। यह मानसूनी बाढ़ प्रबंधन का आधिकारिक आरंभ था, जिसे अब बढ़ाकर 20 फाटकों तक कर दिया गया है।

कटक, पुरी, जगतसिंहपुर को अलर्ट पर रखा गया

महानदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए कटक, पुरी और जगतसिंहपुर जैसे जिलों के प्रशासन को सतर्क रहने और आपात योजना तैयार रखने को कहा गया है। हीराकुद के फाटकों से छोड़ा गया पानी अगले कुछ दिनों में महानदी के निचले इलाकों में पहुंचेगा, इसलिए लोगों से सरकारी निर्देशों का पालन करने और किसी भी अफवाह से बचने की अपील की गई है।

कोइलीघुघर शिव मंदिर का गर्भगृह बाढ़ के पानी में डूबा

पश्चिम ओडिशा में लगातार हो रही भारी बारिश ने कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। झारसुगुड़ा जिले के लखनपुर प्रखंड में स्थित ऐतिहासिक कोइलीघुघर शिव मंदिर में बाढ़ का पानी गर्भगृह तक पहुंच गया है, जिससे मंदिर में पूजा-अर्चना पूरी तरह से बाधित हो गई है।

मंदिर में पानी घुसने की वजह हेमगिर क्षेत्र से बहकर आने वाली ‘अहीरा नाला’ को बताया जा रहा है, जो उफन कर मंदिर परिसर में घुस गया। मंदिर के शिला-आधारित गर्भगृह तक पानी पहुंचने से सभी धार्मिक गतिविधियां रुक गई हैं और मंदिर का संपर्क मार्ग भी पानी में डूब गया है।

लोगों ने पहली बार देखा ऐसा दृश्य

स्थानीय निवासियों ने बताया कि सदियों पुराने इस शिव मंदिर में उन्होंने पहली बार गर्भगृह तक पानी पहुंचते देखा है। बाढ़ के पानी ने मंदिर के बाहरी परिसर को पूरी तरह से ढक लिया है, जिससे श्रद्धालु और ग्रामीण मंदिर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

 बारिश से जनजीवन बेहाल, निचले इलाकों में जलभराव

लखनपुर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार बारिश से सड़कों पर जलभराव हो गया है और आवागमन बुरी तरह प्रभावित है। कई निचले इलाके पानी में डूबे हुए हैं, और प्रशासन हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। हालांकि, अब तक किसी तरह की जनहानि की सूचना नहीं मिली है, लेकिन प्रशासन ने लोगों से बाढ़ प्रभावित इलाकों से दूर रहने की अपील की है।

प्रशासन सतर्क, लोगों से अपील

झारसुगुड़ा जिला प्रशासन ने सभी ग्रामवासियों और श्रद्धालुओं से अपील की है कि जब तक पानी का बहाव कम न हो, मंदिर और नदियों के किनारे ना जाएं। जिला आपदा प्रबंधन टीम और पुलिस बल पूरी तरह से मुस्तैद हैं। कोइलीघुघर मंदिर, जो कि एक प्राचीन शैव स्थल है, आमतौर पर वर्ष भर श्रद्धालुओं से भरा रहता है। लेकिन इस बार प्राकृतिक आपदा ने मंदिर की पवित्रता को भी संकट में डाल दिया है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जैसे ही जलस्तर घटेगा, मंदिर परिसर की सफाई और पूजा पुनः प्रारंभ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

जाजपुर में वैतरणी नदी किनारे तेज कटाव से हड़कंप

जाजपुर जिले में वैतरणी नदी के किनारे स्थित नुआपाटना (निजामपुर के पास) में रविवार को भारी कटाव होने से स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों के बीच चिंता का माहौल पैदा हो गया है। कटाव से 10 फीट से अधिक भूमि नदी में समा गई, जिससे पास ही स्थित बाढ़ सुरक्षा तटबंध को खतरा उत्पन्न हो गया है। सूत्रों के अनुसार, तेज जल प्रवाह और नदी के मध्य में बने टापू के कारण पानी का दाब किनारे पर बढ़ गया, जिससे यह कटाव हुआ। घटना की जानकारी मिलते ही जल संसाधन विभाग, निर्माण कार्य विभाग और दशरथपुर प्रखंड प्रशासन के अधिकारी रविवार देर रात मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया।

नए पुल और जेटी के पास हुआ कटाव, खतरा बढ़ा

बताया गया कि जिस स्थान पर कटाव हुआ है, वह हाल ही में बने एक पुल और जेटी के पास स्थित है। पुल के निर्माण से पानी के बहाव की दिशा में परिवर्तन हुआ है और नदी के मध्य स्थित टापू के चलते जल दबाव किनारे की ओर बढ़ गया, जिससे मिट्टी तेजी से बहने लगी।

नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ने और टापू की कमजोर संरचना ने किनारे की भूमि को और अधिक अस्थिर कर दिया है, जिससे तटबंध पर भविष्य में दरार या टूटने की आशंका जताई जा रही है।

 बालू की बोरियों से तात्कालिक सुरक्षा, स्थायी समाधान पर विचार

प्रशासन ने तात्कालिक रूप से कटाव वाले स्थान पर बालू की बोरियां डालकर कटाव को रोकने का प्रयास शुरू कर दिया है। साथ ही, जल संसाधन विभाग के अभियंता तटबंध को संरक्षित रखने के लिए स्थायी समाधान जैसे कांक्रीट संरचना या पत्थर की बिछावट पर विचार कर रहे हैं।

अभी तक दरार नहीं, लेकिन खतरा बना हुआ

जिला प्रशासन ने फिलहाल तटबंध में किसी प्रकार की दरार या रिसाव से इनकार किया है, लेकिन यह चेतावनी भी दी है कि यदि जलप्रवाह इसी तरह बढ़ता रहा तो तटबंध की मजबूती प्रभावित हो सकती है। स्थानीय लोग डरे हुए हैं और कटाव को रोकने के लिए तेजी से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से अफवाहों से बचने और सतर्क रहने की अपील की है।

नुआपड़ा में निर्माणाधीन पोल्ट्री फार्म की दीवार गिरी

ओडिशा के नुआपड़ा जिले के पटकरपाली गांव में एक निर्माणाधीन पोल्ट्री फार्म की दीवार गिरने से दो महिलाओं की मौत हो गई और एक नाबालिग बालक गंभीर रूप से घायल हो गया। मृतकों की पहचान बालमती शबरा (35) और उनकी मौसी रूपे शबरा (61) के रूप में की गई है, जबकि घायल बच्चे का नाम रिद्धि शबरा बताया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह दर्दनाक हादसा सुबह लगभग 11 बजे हुआ जब दोनों महिलाएं खेत में बने पोल्ट्री फार्म का निरीक्षण करने पहुंची थीं। इसी दौरान लगातार हो रही बारिश के चलते फार्म की एक दीवार अचानक भरभराकर गिर गई और दोनों महिलाएं ईंट और सीमेंट के मलबे के नीचे दब गईं।

बालमती शबरा, दिबाकर शबरा की पत्नी थीं, जो उस पोल्ट्री फार्म के निर्माण कार्य की निगरानी कर रहे थे। घटना की सूचना मिलते ही लखाना थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और मलबे से घायल बच्चे को बाहर निकाल कर अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं, दोनों महिलाओं के शव भी कुछ देर बाद मलबे से बरामद किए गए। इस दर्दनाक हादसे से पूरे गांव में शोक और स्तब्धता का माहौल है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दीवार गिरने के कारणों की विस्तृत पड़ताल की जा रही है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से पीड़ित परिवारों को मुआवजा और सहायता देने की मांग की है।

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