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पुरी में पुलिस ने की ड्रोन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता कैमरों से निगरानी

  • 15 लाख श्रद्धालुओं की संभावना

  • बिना रुके दर्शन के कारण शनिवार रात से ही भीड़ बढ़ी

  • पुलिस ने की संयम और सहयोग की अपील

पुरी। महाप्रभु श्रीजगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्रा के सोना वेश दर्शन के लिए रविवार को पुरी में श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब उमड़ पड़ा। रथों पर विराजमान त्रिदेवों के स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित दिव्य स्वरूप को देखने के लिए लाखों भक्तों ने रात्रि से ही पुरी की ओर रुख कर लिया, जिससे शहर की सभी पार्किंग स्थल पूरी तरह भर गए।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए ओडिशा पुलिस ने भीड़ नियंत्रण के लिए ड्रोन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित कैमरों का सहारा लिया है। साथ ही पुलिस ने यातायात परामर्श का पालन करने और धैर्य बनाए रखने की अपील की थी।

प्रशासनिक स्तर पर चाक-चौबंद प्रबंध

पुलिस ने बताया कि भुवनेश्वर से पुरी की ओर वाहनों का प्रवाह लगातार तेज़ हो रहा। एडीजी (यातायात) दयाल गंगवार ने कहा कि भीड़ कम करने के लिए बाटगांव और माल्तीपाटपुर में वाहनों को रोककर डायवर्ट किया गया, ताकि प्रतीक्षा समय कम हो। एक समय बाटगांव पर प्रतीक्षा अवधि लगभग 20–30 मिनट थी।

ओडिशा के विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि सोना वेश के अवसर पर लगभग 15 लाख लोगों के एकत्र होने की संभावना है। केवल शनिवार रात ही करीब 2 लाख श्रद्धालुओं ने रथों पर विराजे भगवानों के दर्शन किए हैं। प्रशासन सतर्क और सक्रिय है।

ओडिशा पुलिस महानिदेशक वाई बी खुरानिया स्वयं पूरी स्थिति पर नजर रख रहे थे और इंटीग्रेटेड क्राउड कंट्रोल सेंटर से भीड़ प्रबंधन की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रथयात्रा और बाहुड़ा की तरह इस बार भी ड्रोन और एआई कैमरों से निगरानी की जा रही है। श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे व्यवस्था बनाए रखें और पुलिस का सहयोग करें।

रात्रि में नहीं हुआ ‘पहुड़ा’, लगातार दर्शन से भीड़ हुई दोगुनी

श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के एक अधिकारी ने बताया कि शनिवार रात देवताओं का ‘पहुड़ा’ (विराम) नहीं हुआ, जिससे श्रद्धालुओं को रात्रि में भी दर्शन का अवसर मिला। इसी कारण रात्रि में भी भक्तों का प्रवाह रुका नहीं और रविवार सुबह होते-होते भीड़ और बढ़ गई।

तीनों रथ सिंह द्वार के समक्ष, सुरक्षा और श्रद्धा दोनों चरम पर

बाहुड़ा यात्रा के बाद, ‘तालध्वज’, ‘दर्पदलन’ और ‘नंदीघोष’ रथों को श्रीजगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार के सामने खड़ा किया गया है। वहीं से भक्तों को त्रिदेवों के सोना वेश के दर्शन कराए गए।

गुंडीचा मंदिर के पास 29 जून को भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की मृत्यु के बाद प्रशासन ने इस बार विशेष सतर्कता बरती है। भीड़ नियंत्रण, चिकित्सा सहायता, जल वितरण और मार्गदर्शन के लिए स्वयंसेवकों, पुलिस, एनसीसी और स्काउट के दलों को तैनात किया गया।

एसजेटीए प्रमुख का आह्वान: व्यवस्था में सभी सहयोग करें

एसजेटीए के मुख्य प्रशासक डॉ अरविंद कुमार पाढ़ी ने सभी सेवायतों, सुरक्षा कर्मियों और स्थानीय प्रशासन से सहयोग की अपील की थी। उन्होंने कहा कि यह अवसर श्रद्धा और धैर्य का है, सभी को मिलकर भगवान के ‘सोना वेश’ के भव्य दर्शन को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बनाना चाहिए।

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