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मोहन माझी ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को दी श्रद्धांजलि

  • कहा – यह दिन संकल्प, प्रेरणा और जागृति का प्रतीक

भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित जयदेव भवन में ओड़िया भाषा, साहित्य एवं संस्कृति विभाग तथा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा आयोजित डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं राज्यस्तरीय जयंती समारोह में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर को “संकल्प, प्रेरणा और जागृति का दिवस” बताते हुए कहा कि डॉ मुखर्जी का जीवन भारतवर्ष के लिए एक अनुपम उपहार है, जो प्रत्येक भारतीय के लिए आदर्श और प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी के पहले भाग में जिन महान विभूतियों ने भारतीय शिक्षा, संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रवाद को सशक्त किया, उनमें डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी अग्रणी थे।

दूरदर्शी विचारक और प्रखर देशभक्त भी थे मुखर्जी

मुख्यमंत्री मांझी ने कहा कि डॉ मुखर्जी न केवल एक विद्वान शिक्षाविद थे, बल्कि एक समर्पित राष्ट्र नेता, दूरदर्शी विचारक और प्रखर देशभक्त भी थे। उनके द्वारा स्थापित जनसंघ ही आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में परिवर्तित हुई। डॉ मुखर्जी को भाजपा के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, और उनका सांस्कृतिक राष्ट्रवाद आज भाजपा के मूल मंत्र के रूप में कार्य कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि डॉ मुखर्जी का स्पष्ट मत था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और इसके लिए किसी भी विशेष धारा की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने “दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे” का नारा देकर भारतीय एकता को नई दिशा दी।

अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाना सच्ची श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले ही वर्ष में अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाकर डॉ मुखर्जी के सपनों को साकार किया। यह निर्णय डॉ मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि है।

मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती राज्य सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे डॉ मुखर्जी की पुण्यतिथि को कभी नहीं मनाती थीं। लेकिन वर्तमान सरकार इसे एक राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में मानकर पूरे सम्मान से आयोजित कर रही है और आगे भी करेगी।

युवा शक्ति ही देश का भविष्य

उन्होंने कहा कि आज की युवा शक्ति ही देश का भविष्य है। राज्य सरकार अपनी एक वर्ष की उपलब्धियों के उपलक्ष्य में पूरे ओडिशा में युवा विकास कार्यक्रम आयोजित कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि नैतिकता के बिना राजनीति, आदर्शों के बिना शासन और देशभक्ति के बिना स्वतंत्रता केवल एक भ्रम है।

मुखर्जी इतिहास की श्रेष्ठतम विभूतियों में से एक

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि स्वास्थ्य मंत्री डॉ मुकेश महालिंग ने डॉ मुखर्जी को इतिहास की श्रेष्ठतम विभूतियों में से एक बताया। राज्य के खनिज एवं इस्पात मंत्री विभूति भूषण जेना ने डॉ मुखर्जी को भारत की अखंडता का प्रतीक बताया।

मुख्य वक्ता अनिर्वाण गांगुली ने डॉ मुखर्जी को पराधीन भारत में भारतीय भाषाओं में शिक्षा के प्रारंभिक प्रवर्तक के रूप में संबोधित किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ मुखर्जी के जीवन पर आधारित फोटो प्रदर्शनी गैलरी और एक लघु फिल्म का उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान आयोजित तर्क प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर के छात्रों को भी मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया।

ओड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति विभाग के सचिव श्री संजीव कुमार मिश्र ने स्वागत भाषण दिया जबकि विभागीय निदेशक विजय केतन उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

कार्यक्रम से पूर्व मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती सुरमा पाढ़ी और अन्य गणमान्य अतिथियों ने सत्तसंग विहार स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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