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समय से पूर्व शुरू हुई रथयात्रा, तीनों रथ पहुंचे सिंहद्वार
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लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में संपन्न हुईं सभी नीतियां
पुरी। महाप्रभु श्रीजगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की बाहुड़ा यात्रा के पावन अवसर पर आज पुरी नगरी श्रद्धा, भक्ति और उल्लास से सराबोर हो उठी। लाखों की संख्या में भक्तों ने बड़दांड पर महाप्रभु के दर्शन किए और रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त किया।
रथयात्रा की शुरुआत इस बार निर्धारित समय से पूर्व हुई। परंपरा के अनुसार रथ खींचने का कार्य दोपहर 4 बजे से आरंभ होना था, लेकिन भगवान की कृपा से यह पावन कार्य पहले ही दोपहर 3 बजे शुरू हो गया। महज एक घंटे के भीतर शाम 4:30 बजे तक तीनों रथों, तालध्वज, दर्पदलन और नंदीघोष, ने सरधाबली से प्रस्थान कर लिया और सिंहद्वार की ओर बढ़ चले।
जैसे-जैसे रथ आगे बढ़े, बड़दांड जय जगन्नाथ के जयघोष से गूंज उठा। शंख, घंटा, मृदंग और कीर्तन की ध्वनि ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ रथ खींचने में भाग लिया। रथों के क्रम में सबसे आगे भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ चला, उसके पीछे देवी सुभद्रा का दर्पदलन और अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ।
परंपरा अनुसार, गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने दिव्य भेष में तीनों रथों पर छेरा पहंरा की रस्म अदा की। यह रस्म दर्शाती है कि राजा भी भगवान के सामने केवल एक सेवक होता है।
दिनभर की विभिन्न धार्मिक नीतियां पूर्व निर्धारित समय पर शांतिपूर्वक और विधिवत ढंग से पूरी की गईं। सुबह 4 बजे मंगल आरती से दिन का आरंभ हुआ और दोपहर 12 बजे से बाहुड़ा पहंडी के अंतर्गत तीनों विग्रहों को रथों पर विराजमान कराया गया। इसके बाद छेरा पहंरा और अन्य परंपरागत कार्य संपन्न हुए।
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन, पुलिस और जिला प्रशासन ने सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए थे। जगह-जगह सीसीटीवी, ड्रोन कैमरे, आपातकालीन सेवाएं और वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में व्यवस्था बेहद सख्ती से लागू रही।
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