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जिला बनने के 30 साल बाद भी खुर्दा जमीन के रिकॉर्ड पुरी में फंसे

  • जटनी-पिपिलि में रीयल एस्टेट लेन-देन बना पेचीदा

  • 1962-74 के दस्तावेजों का नहीं हुआ स्थानांतरण

  • ईसी प्रमाणपत्र लेने के लिए लोगों को आज भी जाना पड़ता है पुरी

भुवनेश्वर। प्रशासनिक लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें खुर्दा जिले के भूमि रिकार्ड और पंजीयन दस्तावेज अभी भी पड़ोसी जिले पुरी में रखे हुए हैं। जबकि पुरी से खुर्दा को अलग जिला बने 30 से अधिक वर्ष हो चुके हैं। इसका सबसे अधिक असर जटनी और पिपिलि क्षेत्र में जमीन खरीद-बिक्री पर पड़ रहा है, जहां अब रीयल एस्टेट लेन-देन में बार-बार परेशानियां और कानूनी उलझनें सामने आ रही हैं।

खुर्दा को 1993 में पुरी से अलग कर जिला बनाया गया था, लेकिन उस समय के पहले (1962-1974) के ज़मीन संबंधित रिकार्ड अब तक पुरी के रिकॉर्ड रूम में ही हैं। इसके कारण जटनी सब-रजिस्ट्रार कार्यालय होने के बावजूद, नागरिकों को एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (ईसी) जैसे जरूरी दस्तावेज़ों के लिए आज भी पुरी जाना पड़ता है।

स्थानीय निवासी बताते हैं कि जब भी जमीन की रजिस्ट्री करनी होती है या ईसी निकालनी होती है, पुरी जाना पड़ता है। वहां जाकर भी अधूरी या गलत जानकारी मिलती है।

मैनुअल प्रक्रिया, भ्रष्टाचार और दलालों की सक्रियता

ईसी जैसे दस्तावेज पुरी में मैन्युअली जारी किए जाते हैं, जिससे गलतियां, हेराफेरी और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है। कुछ मामलों में ऐसी प्रमाण पत्र भी जारी किए गए हैं जिनमें पहले से गिरवी रखी गई जमीनें दिखाई गईं, जिससे रजिस्ट्री के बाद कानूनी विवाद खड़े हो गए।

लोगों ने आरोप लगाया है कि पुरी में हमें दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है। भ्रष्टाचार, दलालों की घुसपैठ और लंबी कतारें आम बात हो चुकी हैं।

डिजिटलीकरण का अभाव बना बड़ी समस्या

पुराने रिकार्ड अब तक डिजिटल नहीं किए गए हैं, जिससे भूमि स्वामित्व और पिछली रजिस्ट्री की जांच में समय लगता है और मानव त्रुटियों की संभावना बढ़ जाती है। खासकर निवेशकों और खरीदारों के लिए यह एक जोखिमपूर्ण और खर्चीला मामला बन गया है।

रिकॉर्ड रूम को जटनी में स्थानांतरित करने की मांग तेज

स्थानीय लोग अब रिकॉर्ड रूम को पुरी से हटाकर जटनी में स्थानांतरित करने की पुरजोर मांग कर रहे हैं। रीयल एस्टेट में बढ़ती गतिविधियों के साथ यह मांग और तेज हो गई है, खासकर पिपिलि और जटनी जैसे क्षेत्रों में, जहां जमीन की मांग तेजी से बढ़ रही है।

प्रशासन ने समस्या को माना, समाधान की दिशा में पहल शुरू

खुर्दा के वर्तमान एडीएम (राजस्व) सफल्य मंडित प्रधान ने कहा कि कि हम पुरी जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर पुराने रिकार्ड खुर्दा लाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व खुर्दा कलेक्टर चंचल राणा, जो अब पुरी के कलेक्टर हैं, इस विषय से भलीभांति परिचित हैं और उनके सहयोग से जल्द समाधान संभव है।

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