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आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई और समन्वय के लिए फायर सर्विसेज विभाग की अनोखी पहल
पुरी। ओडिशा के रथयात्रा इतिहास में इस वर्ष एक नया अध्याय जुड़ गया है। पहली बार ओडिशा अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा विभाग ने पुरी में आयोजित रथयात्रा के दौरान एक समर्पित कमांड कंट्रोल वाहन तैनात किया गया। इसका उद्देश्य किसी भी आपात स्थिति में तत्काल, सटीक और केंद्रीकृत प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना था।
यह अत्याधुनिक वाहन आपात स्थिति में फील्ड टीमों और अन्य विभागों के बीच समन्वय स्थापित करते हुए रथयात्रा जैसी विशाल धार्मिक भीड़ के बीच सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करता है।
इस वाहन की विशेषता
फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज के डीआईजी उमाशंकर दास ने बताया कि इस वाहन में उन्नत संचार प्रणाली, लाइव निगरानी कैमरे, जीपीएस ट्रैकिंग, इंटरनेट कनेक्शन, जनरेटर, वीएचएफ सेट और अन्य हाईटेक उपकरण लगे हैं। इससे किसी भी दुर्घटना या आपदा के समय फील्ड में कार्यरत टीमों से त्वरित और प्रभावी संवाद हो सकता है।
उन्होंने कहा कि यह मोबाइल कमांड सेंटर किसी भी अग्निकांड, दुर्घटना या चिकित्सा आपात स्थिति में नियंत्रण केंद्र के रूप में कार्य करता है, जहां से तुरंत निर्णय लेकर कार्रवाई की जा सकती है।
रथयात्रा में सुरक्षा व्यवस्था को मिली नई मजबूती
पुरी की रथयात्रा, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं, में भीड़ प्रबंधन और आपात स्थितियों से निपटना प्रशासन के लिए हमेशा बड़ी चुनौती रही है। यह कमांड कंट्रोल वाहन अब रथों की गति, जनसंचालन, अग्नि सुरक्षा नियमों और अन्य सुरक्षा पहलुओं पर वास्तविक समय में नजर रखने मददगार साबित हो रहा है।
विभाग ने बताया कि वाहन में लगे 10 हाई-रेजोल्यूशन कैमरे रथ मार्ग और भीड़ वाले इलाकों की निगरानी कर रहे हैं, जिससे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या अनहोनी पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
भविष्य में अन्य आयोजनों में भी होगा उपयोग
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, पुरी में इस वाहन की सफलता को देखते हुए इसे भविष्य में ओडिशा के अन्य बड़े धार्मिक और सार्वजनिक आयोजनों में भी तैनात किया जा सकता है। इसके लिए विभाग के कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है ताकि वे इस सिस्टम को कुशलतापूर्वक संचालित कर सकें।
एक ऐतिहासिक उत्सव के लिए आधुनिक सुरक्षा कवच
यह पहल न केवल रथयात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक व्यवस्थित बनाती है, बल्कि यह ओडिशा सरकार की आपदा प्रबंधन और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। देश के सबसे पुराने इस धार्मिक पर्व को अब एक सुरक्षित, तेज और तकनीकी दृष्टि से सशक्त सुरक्षा तंत्र का सहारा मिला है।