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मयूरभंज के सिमिलिपाल में हालात गंभीर, काल डैम का एक गेट खोला गया
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बालेश्वर में सुबर्णरेखा नदी का जलस्तर घटा, लेकिन संकट बरकरार
मयूरभंज/बालेश्वर। ओडिशा में भारी बारिश के कारण हाल बेहाल है। कई जिले बाढ़ की चपेट में है और जनजीवन प्रभावित हैं।
मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश के चलते नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। खासकर काप्तीपड़ा ब्लॉक अंतर्गत काल डैम में स्थिति गंभीर हो गई है। जलस्तर खतरे के निशान 77.7 क्यूबिक मीटर को पार कर चुका है। अधिकारियों ने एहतियातन एक गेट खोल दिया है ताकि डैम की संरचनात्मक सुरक्षा बनाए रखी जा सके।
इनफ्लो-आउटफ्लो पर नजर
रिपोर्ट के अनुसार, काल डैम में जहां 17 क्यूसेक पानी प्रवेश कर रहा है, वहीं 21 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। लगातार बारिश के कारण अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं और यदि इनफ्लो बढ़ा तो और गेट खोले जा सकते हैं। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
जिला प्रशासन ने उठाए कदम
जिला प्रशासन ने निगरानी टीमों को तैनात किया है, जो स्थानीय पंचायतों के सहयोग से स्थिति पर नजर रख रही हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे नदी किनारे ना जाएं और किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन से संपर्क करें।
बालेश्वर में सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर घटा, लेकिन गांव अब भी जलमग्न
बालेश्वर जिले में सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर अब खतरे के निशान से नीचे आ चुका है, लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की परेशानियां कम नहीं हुई हैं। जिले के 70 से अधिक गांव अब भी जलमग्न हैं, जहां सामान्य जनजीवन पूरी तरह ठप है।
भोगराई ब्लॉक में हालत बेहद खराब
भोगराई ब्लॉक के 15 पंचायतों के 30 गांव अब भी जलभराव से जूझ रहे हैं। बदामंदरुनी गांव सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां सभी धान के खेत पानी में डूबे हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय से पानी जमा रहने से पेड़ तक सड़ने लगे हैं।
नाव से हो रहा आना-जाना
कुसुड़ा, गाबागा और मनुनगर जैसे पंचायतों का संपर्क पूरी तरह से कट गया है। सड़कों पर चार फीट तक पानी बह रहा है, जिससे ग्रामीणों को आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है।
राहत और पुनर्वास एक बड़ी चुनौती
प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है, लेकिन कई क्षेत्र अब भी पानी में डूबे हैं, जिससे राहत पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण जल्द से जल्द स्थिति सामान्य होने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि वे दोबारा खेती और सामान्य जीवन शुरू कर सकें।