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ओडिशा के स्कूलों में अब नहीं परोसा जाएगा रिफाइंड चीनी वाला खाना

  •  एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पर भी प्रतिबंध

  • नमक की मात्रा को भी सीमित करने के निर्देश

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अब रिफाइंड चीनी से बना भोजन परोसे जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही नमक की मात्रा को भी सीमित करने के निर्देश दिए गए हैं। यह निर्णय प्रधानमंत्री पोषण योजना (पीएम पोषण) और शिशु वाटिका पहल के तहत संचालित संस्थानों में लागू होगा।

बच्चों के बीच चीनी की खपत चिंता का कारण

राज्य सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि भोजन में मिठास के लिए अब रिफाइंड चीनी का उपयोग नहीं किया जाएगा। यदि आवश्यक हो, तो केवल गुड़ का ही सीमित मात्रा में उपयोग किया जा सकता है, जो कुल कैलोरी का अधिकतम पांच प्रतिशत होना चाहिए। यह फैसला भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है, जिसमें बच्चों के बीच चीनी की अधिक खपत को लेकर चिंता जताई गई थी।

वसा की मात्रा पर भी नियंत्रण रखने का निर्देश

इसी के साथ भोजन में नमक और वसा की मात्रा पर भी नियंत्रण रखने का निर्देश दिया गया है। स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को कहा गया है कि भोजन तैयार करते समय फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड रेगुलेशन 2011 और 2020 के नियमों का पालन किया जाए। गर्म पका भोजन, पूरक पोषण और तिथि भोजनों में यह दिशानिर्देश अनिवार्य रूप से लागू किए जाएंगे।

शिशु वाटिका के लिए और भी सख्त नियम

शिशु वाटिका के अंतर्गत आने वाले केंद्रों के लिए सरकार ने और भी सख्त नियम लागू किए हैं। कृत्रिम रंग, फ्लेवर, प्रिजर्वेटिव और सिंथेटिक एडिटिव्स के उपयोग पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। केवल उन्हीं इमल्सिफायर्स का उपयोग करने की अनुमति होगी, जो एफएसएसआर 2020 में मान्य हैं।

स्कूल परिसरों से 100 मीटर नहीं बिकेंगे एनर्जी ड्रिंक्स

बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर उठाए गए एक और महत्वपूर्ण कदम के तहत सरकार ने एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल परिसरों से 100 मीटर और शहरी क्षेत्रों में 50 मीटर की परिधि में इन पेय पदार्थों की बिक्री प्रतिबंधित कर दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन पेयों में मौजूद अत्यधिक कैफीन बच्चों के हृदय, मस्तिष्क और शरीर के चयापचय तंत्र पर गंभीर प्रभाव डालता है।

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