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मंदिर प्रशासन की भूमिका पर गंभीर चिंता जताई
पुरी। गुंडिचा मंदिर के पास रविवार सुबह हुई भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की मौत और 50 से अधिक के घायल होने की घटना के बाद अब श्रीमंदिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। श्रीमंदिर प्रबंधन समिति के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ सेवायत रामचंद्र दासमहापात्र ने इस घटना को लेकर मंदिर प्रशासन की भूमिका पर गंभीर चिंता जताई है।
दासमहापात्र ने विशेष रूप से ‘पहुड़ा’ रस्म को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को पूर्व सूचना दिए बिना पहुड़ा का आयोजन किया गया, जबकि परंपरा के अनुसार इसकी पहले घोषणा होनी चाहिए थी। श्रद्धालुओं को यह जानकारी नहीं दी गई कि मंदिर कब बंद होगा और कब खुलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि अगर ‘पहुड़ा’ की रस्म करनी ही थी, तो उसे एक घंटे के भीतर समाप्त कर मंदिर को फिर से खोला जा सकता था। श्रद्धालु भोर से ही इंतजार कर रहे थे, लेकिन न तो सूचना केंद्र पर कोई कर्मचारी था, न ही कहीं कोई सूचना दी गई। इससे भीड़ में भ्रम और तनाव पैदा हुआ।
दासमहापात्र ने यह भी कहा कि ऐसे निर्णय मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन समिति की कोई भूमिका नहीं दिखी। सब कुछ अव्यवस्थित और बिना समन्वय के हुआ।
सूचना व्यवस्था रही नदारद
उनके अनुसार, मंदिर परिसर में बना सूचना केंद्र पूरी तरह निष्क्रिय था। श्रद्धालु यह समझ ही नहीं पाए कि मंदिर क्यों बंद है और कब खुलेगा। अगर सूचना केंद्र पर कोई होता और श्रद्धालुओं को सही जानकारी दी जाती, तो भगदड़ जैसी स्थिति को रोका जा सकता था।
वरिष्ठ सेवायत के इन बयानों ने श्रीमंदिर प्रशासन की पारदर्शिता और श्रद्धालुओं के साथ संवाद प्रणाली पर एक नई बहस छेड़ दी है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से यह जरूरी हो गया है कि मंदिर प्रशासन भविष्य में सभी निर्णयों की स्पष्ट जानकारी समय रहते दे और भीड़ प्रबंधन के लिए सटीक रणनीति बनाए।