-
कहा-दीघा को धाम कहना अनुचित
पुरी। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दीघा स्थित नए जगन्नाथ मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ घोषित करने के बीच प्रसिद्ध संत और पद्मविभूषण से सम्मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। पुरी के श्रीक्षेत्र दौरे के दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा कि पुरी ही एकमात्र और सच्चा जगन्नाथ धाम है, दीघा को जगन्नाथ धाम कहना न तो मान्य है और न ही स्वीकार्य।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में दीघा में हाल ही में बने जगन्नाथ मंदिर को ‘धाम’ घोषित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस वर्ष दीघा में पहली बार रथयात्रा भी आयोजित की गई थी, लेकिन बंगाल से पुरी आए अनेक श्रद्धालुओं ने इस कदम पर नाराजगी जाहिर की है।
श्रीक्षेत्र पुरी ही नीलाचल धाम है
पुरी में दर्शन के दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि श्रीक्षेत्र पुरी नीलाचल धाम है। भगवान जगन्नाथ स्वयं दारु-ब्रह्म स्वरूप में यहीं विराजते हैं। उनकी लीला और ऊर्जा का अनुभव केवल यहीं हो सकता है। दीघा जैसे किसी स्थान को धाम घोषित करना न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी गलत है।
धार्मिक पहचान से छेड़छाड़ स्वीकार नहीं
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बयान के बाद ओडिशा के धार्मिक और सांस्कृतिक समुदाय में संतोष की भावना है। ओडिशा की जनता और जगन्नाथ भक्तों के लिए यह मुद्दा सिर्फ पहचान का नहीं, बल्कि आस्था और आत्मा से जुड़ा प्रश्न है।
बंगाल के श्रद्धालु भी पुरी के पक्ष में
पुरी की रथयात्रा में भाग लेने आए कई बंगाली श्रद्धालुओं ने भी यही भावना व्यक्त की। एक श्रद्धालु ने कहा दीघा में मंदिर हो सकता है, लेकिन जगन्नाथ का मूल धाम केवल पुरी है। पुरी की ऊर्जा, आस्था और परंपरा का कोई विकल्प नहीं हो सकता। इसलिए ही पुरी को श्रीक्षेत्र कहा जाता है।
बंगाल ने नहीं दिया ओडिशा सरकार को जवाब
हालांकि अब तक पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी कई जगन्नाथ भक्तों ने दीघा को ‘धाम’ कहे जाने पर नाराजगी जताई है और इसे पुरी के धार्मिक महत्व को कम करने की साजिश बताया है। ओडिशा सरकार ने इसे लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र भी लिखा था, लेकिन उसका जवाब अभी तक नहीं दिया गया है।
Indo Asian Times । Hindi News Portal । इण्डो एशियन टाइम्स,। हिन्दी न्यूज । न रूकेगा, ना झुकेगा।।
