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रात में कहां थी पुलिस, दोनों ट्रकों को किसने दी थी अनुमति
पुरी। गुंडिचा मंदिर के पास स्थित सरधाबली में रथयात्रा के दौरान रविवार तड़के हुई भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की मौत और 50 से अधिक के घायल होने के बाद राज्य सरकार ने भले ही जांच के आदेश दिए हों, लेकिन इस भीषण हादसे ने जिला प्रशासन और पुलिस की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रथयात्रा जैसे विशाल और पारंपरिक आयोजन में सुरक्षा इंतज़ामों की यह विफलता आम लोगों, श्रद्धालुओं और विशेषज्ञों को स्तब्ध कर रही है। घटना के बाद कई सवाल उठ रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल प्रशासन सतर्कता को लेकर उठ रही है। यह कोई नहीं है कि भीड़ वहां थी।
हर साल की तरह इस बार भी रात में ‘पहुड़ा’ के बाद सुबह दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ना तय था। फिर भी तैयारी न होना चौंकाता है।
इसके साथ ही हादसे के समय पुलिस के मौके पर मौजूद नहीं होने को लेकर उठा है। चश्मदीदों ने दावा किया है कि भगदड़ के समय पुलिसकर्मी नजर नहीं आए। भीड़ को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था।
भीड़ नियंत्रण उपाय क्यों नहीं किए गए थे, यह भी एक बड़ा सवाल है। सुरक्षा की दृष्टि से यह सबसे संवेदनशील समय होता है, फिर भी न कोई बैरिकेडिंग थी, न भीड़ को मोड़ने के इंतजाम।
सबसे बड़ा सवाल भारी भीड़ के बीच चारमाला लाने वाले दो ट्रकों को भीड़ में जाने के लिए किसने आने की अनुमति दी थी? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रकों के आने से ही भगदड़ की शुरुआत हुई। सवाल यह है कि इसकी इजाजत किसने दी?
यदि ट्रकों को आना था, इससे पहले भीड़ हटाने की कोशिश क्यों नहीं की गई? क्या पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात था? अगर तैनात था, तो मौके पर क्यों नहीं दिखा? और अगर नहीं था, तो ऐसी बड़ी भीड़ के लिए व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
सरधाबली जैसे संवेदनशील स्थल पर भीड़ का ऐसा जमावड़ा सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद खतरनाक था। ऐसे में श्रद्धालुओं को एक ही संकरी जगह पर एकत्र होने क्यों दिया गया? हादसे के समय वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी कहां थे? अगर वे मौके पर होते, तो बेहतर समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया संभव होती। सबसे बड़ा सवाल सरधाबली में भीड़ नियंत्रण की जिम्मेदारी किसे दी गई थी? स्पष्ट रूप से यह जिम्मेदारी तय नहीं थी या उसे गंभीरता से नहीं निभाया गया। सरधाबली प्रमुख स्थल है, फिर भी हादसे के समय प्रशासन की मौजूदगी न होना गंभीर चूक है।
हालांकि सरकार ने जांच की घोषणा की है और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन पीड़ित परिवार अब न्याय के साथ-साथ जवाबदेही की भी मांग कर रहे हैं। यह देखना बाकी है कि ये सवाल जवाब तक पहुंचते हैं या सरकारी फाइलों में गुम हो जाते हैं।