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बरगढ़ में लोक कविरत्न हलधर नाग पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

  • “हलधर नाग ओडिशा की अस्मिता, अभिव्यक्ति और भावना के प्रतीक हैं” – धर्मेन्द्र प्रधान

भुवनेश्वर। लोक कविरत्न और कई अन्य सम्मानों से सम्मानित पद्मश्री हलधर नाग भारत के एक चमकते साहित्यिक रत्न हैं। ओडिशा की अस्मिता, अभिव्यक्ति और भावनात्मक परंपरा के एक सशक्त प्रतीक के रूप में उन्हें देखा जाता है। उनकी रचनात्मकता ने संभलपुरी भाषा को समृद्ध करने में अतुलनीय योगदान दिया है।

यह बात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शनिवार को बरगढ़ जिले के बरहागुड़ा में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “हलधर  सृजन और दर्शन” के अवसर पर कही। यह संगोष्ठी प्रसिद्ध लोककवि पद्मश्री हलधर नाग और उनके साहित्य पर केंद्रित थी।

संगोष्ठी का आयोजन साहित्यिक संस्था ‘अभिमन्यु साहित्य संसद’, घेंस और ‘कृष्णा विकास शैक्षणिक संस्थान, बरगढ़’ के संयुक्त प्रयास से किया गया। इस अवसर पर श्री प्रधान ने कहा कि बरगढ़ जैसे सांस्कृतिक और साहित्यिक केंद्र में इस प्रकार की संगोष्ठी का आयोजन अत्यंत सराहनीय है।

उन्होंने यह भी कहा कि ओडिशा और अन्य राज्यों से आए शोधकर्ताओं की उपस्थिति इस बहुभाषी संगोष्ठी को राष्ट्रीय स्तर पर संबलपुरी भाषा की पहचान दिलाने में मदद करेगी।

धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि  किसी भी व्यक्ति को लेखन की दिशा में सक्रिय करने का माध्यम होता है साहित्य। यह बौद्धिक ऊर्जा को सतत गति देने वाला और नए विचारों को जन्म देने वाला स्रोत है। साहित्य अमर है, हर कोई साहित्यकार नहीं बन सकता, लेकिन हर व्यक्ति के भीतर साहित्य होता है और उसकी आवश्यकता भी रहती है।

उन्होंने आगे कहा कि कुछ विशिष्ट व्यक्ति ही अपनी भावनाओं और विचारों को मातृभाषा में प्रभावी ढंग से व्यक्त कर पाते हैं, और हलधर नाग उन्हीं में से एक हैं। उनके साहित्य में गहराई, दर्शन और जीवन के तत्व समाहित हैं, और उनकी लेखनी को और अधिक मंचों पर प्रस्तुत करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

प्रधान ने मातृभाषा में मौलिक चिंतन को सर्वोत्तम बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कल्पित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की सभी भाषाओं को “राष्ट्रीय भाषा” का दर्जा दिया है  जिसमें ओड़िया और संबलपुरी दोनों शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि छात्रों की रचनात्मकता को विकसित करने के लिए मातृभाषा में शिक्षा देना आवश्यक है। भारत को फिर से विश्वगुरु बनाने के लिए, भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता देना समय की आवश्यकता है।

इस अवसर पर श्री प्रधान ने हलधर नाग पर लिखित कुछ पुस्तकों, ग्रंथों और संकलनों का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में राज्य के उच्च शिक्षा एवं संस्कृति मंत्री सूरज सूर्यवंशी, बरगढ़ के सांसद, विधायकगण और अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

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