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ओडिशा में इंजीनियरिंग विभागों में आउटसोर्सिंग की जांच के आदेश
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10 साल के रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे
भुवनेश्वर। ओडिशा की नई मोहन माझी सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था में वर्षों से चल रही तथाकथित पांडियन स्टाइल की कार्यप्रणाली पर बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री मोहन माझी ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि पिछले 10 वर्षों में इंजीनियरिंग विभागों में हुई आउटसोर्सिंग की फाइलें खोली जाएं और उनकी विस्तृत समीक्षा की जाए।
मुख्यमंत्री ने यह सवाल उठाया है कि जब सरकार के पास स्वयं के योग्य और अनुभवी अभियंता मौजूद हैं, तो फिर सर्वेक्षण, डिजाइन, डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) और लागत आंकलन जैसे मामूली कार्य भी बाहरी एजेंसियों को क्यों सौंपे जा रहे हैं? यह परंपरा न केवल सरकार के इंजीनियरिंग कैडर की काबिलियत पर सवाल उठाती है, बल्कि सरकारी संसाधनों का अनावश्यक व्यय भी करती है।
आउटसोर्सिंग एजेंसियों को हो रहा अनुचित लाभ
सीएम कार्यालय द्वारा जारी निर्देश में इस बात पर आपत्ति जताई गई है कि वर्षों से चली आ रही यह व्यवस्था आउटसोर्सिंग एजेंसियों को अनुचित लाभ पहुंचा रही है, जबकि स्थानीय ठेकेदारों और इंजीनियरों को दरकिनार किया गया है। पूर्व चीफ इंजीनियर ललित मोहन पटनायक ने कहा है कि हमारे पास खुद के संसाधन हैं, तो आउटसोर्सिंग क्यों? दरअसल, जब कोई सलाहकार एजेंसी नियुक्त होती है, तो वह ऊपरी अधिकारियों के निर्देशों पर काम करती है और छोटे स्थानीय ठेकेदारों को काम ही नहीं मिलता।
इंजीनियरिंग विभाग की क्षमता बढ़ाने पर जोर
मुख्यमंत्री ने मई माह में इस समस्या की पहचान करते हुए आदेश जारी किया था कि सरकारी इंजीनियरिंग विभाग को मजबूत बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। इसके लिए दो प्रमुख बिंदु तय किए गए हैं। पहला यह कि पिछले 10 वर्षों में किस विभाग ने कितना कार्य, किन एजेंसियों को, कितनी लागत पर सौंपा, इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार हो। दूसरा यह कि विभागों को यह भी समीक्षा करनी होगी कि उन्हें कौन-कौन सी आधुनिक मशीनें और उपकरण चाहिए ताकि भविष्य में वे स्वयं इन कार्यों को संभाल सकें।
कार्य विभाग के मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद से ही हमने इंजीनियरिंग विभाग की क्षमता निर्माण पर कार्य शुरू कर दिया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम इसका उदाहरण है। पिछले 15 वर्षों से बाहरी एजेंसियों का वर्चस्व रहा है, लेकिन अब यह धीरे-धीरे समाप्त होगा।
पांच बड़े विभागों में बदलाव की आहट
खबरों में चर्चा है कि यह पहल विशेष रूप से जल संसाधन, कार्य विभाग, पंचायती राज एवं पेयजल, ग्रामीण विकास और शहरी विकास विभागों को प्रभावित करेगी, जहां पिछले कई वर्षों से बाहरी एजेंसियां योजनाओं के मूल संचालन में लगी हुई थीं। अब मुख्यमंत्री की इस सख्ती के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि इन विभागों में संरचनात्मक सुधार होगा और सरकारी अभियंताओं की प्रतिष्ठा और भागीदारी को पुनर्स्थापित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री माझी की यह कार्यवाही सिर्फ एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी माना जा रहा है कि अब ओडिशा सरकार निष्पक्षता, दक्षता और पारदर्शिता के नए मानकों के साथ आगे बढ़ेगी। इसके जरिए सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि नीतिगत निर्णय अब कुछ खास व्यक्तियों की शैली या प्रभाव पर नहीं, बल्कि संस्थागत क्षमताओं और जनहित को आधार मानकर लिए जाएंगे।