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व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने के लिए अहम बैठक सम्पन्न
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सेवायतों की नियंत्रित भागीदारी
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पहंडी में सिर्फ सूचीबद्ध सेवायतों को होगी अनुमति
पुरी। आगामी पुरी रथयात्रा 2025 को शांतिपूर्ण, सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से संपन्न कराने के उद्देश्य से श्रीमंदिर कार्यालय सभागार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वाईं, श्रीमंदिर प्रबंधक (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी सहित प्रशासनिक अधिकारी, नियोग प्रतिनिधि, वरिष्ठ सेवायत और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक का प्रमुख उद्देश्य 9 दिवसीय धार्मिक यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करना, संभावित चुनौतियों की पूर्वानुमान के आधार पर रणनीति बनाना और सेवायतों व स्वयंसेवकों की भागीदारी को नियंत्रित और सुव्यवस्थित बनाना था। इस बार विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है कि पिछले वर्षों की किसी भी प्रकार की अव्यवस्था दोहराई न जाए और यात्रा पूरी तरह अनुशासित रूप से संपन्न हो।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ‘पहंडी’ अनुष्ठान के दौरान केवल उन्हीं सेवायतों को प्रवेश दिया जाएगा जिनके नाम सेवायोग्य सूची में दर्ज हैं। जो सेवायत इस सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। प्रत्येक विग्रह के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को विशेष रूप से नामित किया जाएगा, जो संबंधित अनुष्ठानों की निगरानी और समन्वय सुनिश्चित करेगा।
सुव्यवस्था और सुरक्षा मानकों के पालन पर जोर
रथों की सफाई, रस्सियों की व्यवस्था और रथों के खींचने की संपूर्ण प्रक्रिया को लेकर विस्तृत रूपरेखा अंतिम चरण में है। इस बार पूरा जोर यात्रा को खींचने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और सुरक्षा मानकों के पालन पर दिया गया है। रथ संचालन से लेकर पूजा-अर्चना तक की हर क्रिया की निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।
मोबाइल का उपयोग केवल जरूरी समयों पर ही
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि मोबाइल फोन का उपयोग केवल जरूरी समयों पर ही, जैसे कि विशेष सहयोग के समय, सीमित रूप से किया जाएगा, वह भी केवल सहायक सेवायतों के लिए, और सभी संबंधित पक्षों की सहमति के साथ।
नियोग के अध्यक्ष और सचिवों को जिम्मेदारी
नियोग के अध्यक्ष और सचिवों को इस बार पूरी प्रक्रिया के संगठन और कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दी गई है। उनके निर्देशन में ही समस्त अनुष्ठानिक एवं प्रबंधन कार्य होंगे, जिससे कि किसी भी असमंजस या अव्यवस्था की गुंजाइश न रहे।
पुरी प्रशासन और श्रीमंदिर प्रबंधन की यह बैठक में जोर दिया गया कि इस बार रथयात्रा को और अधिक अनुशासित, सुरक्षित और श्रद्धालु-हितकारी बनाने के लिए सभी स्तरों पर सख्त एवं संवेदनशील रहा जाए। राज्य सरकार और मंदिर प्रशासन यह सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध हैं कि इस ऐतिहासिक यात्रा का हर क्षण श्रद्धा, परंपरा और मर्यादा के अनुरूप हो।