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ओडिशा सरकार ने तीन बैंकों को लेकर भ्रम किया दूर

  •  कुछ खातों पर लागू नहीं होगा बंद करने का आदेश

  •  एसएनए, एनपीएस और पेमेंट गेटवे जैसे खातों को दी गई छूट

  •  नए खाते खोलने पर रोक जारी

  • एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक को वित्तीय सेवा सूची से हटाए जाने के फैसले के बाद उपजा था भ्रम

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार द्वारा एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक को राज्य की वित्तीय सेवा सूची से हटाए जाने के फैसले के बाद उपजे भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए वित्त विभाग ने मंगलवार को एक विस्तृत अधिसूचना जारी की। सरकार ने स्पष्ट किया है कि सभी सरकारी खातों को इन बैंकों से बंद करने का निर्देश कुछ विशिष्ट श्रेणियों के खातों पर लागू नहीं होगा।

अधिसूचना के अनुसार, सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) खातों, पेमेंट गेटवे या एग्रीगेटर खातों, राज्य की राजस्व वसूली से जुड़े एजेंसी बैंक खातों, और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) व पेंशन ट्रस्टी खातों को बंद करने की अनिवार्यता नहीं है। ये खाते पूर्ववत संचालित होते रहेंगे, लेकिन इन्हीं श्रेणियों में भविष्य में नए खाते इन बैंकों में नहीं खोले जा सकेंगे जब तक कि सरकार द्वारा नया आदेश न जारी हो।

सरकार ने यह निर्णय 21 जून को उन सभी सरकारी विभागों, निदेशालयों, विश्वविद्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों और स्वायत्त संस्थानों को आदेशित करते हुए लिया था, जिनके चालू या बचत खाते इन तीन निजी बैंकों में संचालित हो रहे थे। इसके पीछे का कारण इन बैंकों द्वारा सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लगातार कमजोर प्रदर्शन और सामान्य बैंकिंग मापदंडों में अनुपालन की कमी बताया गया है।

राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन बैंकों में रखे गए फिक्स्ड और टर्म डिपॉजिट पर यह आदेश प्रभावी नहीं होगा। ऐसे निवेशों को परिपक्वता तक जारी रहने दिया जाएगा और उसके बाद संबंधित विभागों को धनराशि को सूचीबद्ध बैंकों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है। सरकार का कहना है कि यह फैसला वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

पिछले दो वर्षों से इन तीन बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा की जा रही थी और बार-बार आग्रह करने के बावजूद योजनाओं के कार्यान्वयन और बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार नहीं दिखा। इससे सरकार को मजबूरी में यह सख्त फैसला लेना पड़ा, ताकि जनता की योजनाएं प्रभावी ढंग से संचालित रह सकें।

सरकार का यह कदम ओडिशा में सार्वजनिक वित्त प्रबंधन को मजबूत करने और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। इससे यह भी स्पष्ट संकेत जाता है कि सरकार अब नतीजों के आधार पर ही भागीदारी को स्वीकार करेगी और लापरवाही के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ेगी।

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