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भगवान बलभद्र के बड़ग्राही हलधर दास महापात्र ने लगाया आरोप
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चढ़ाए जाने वाले 313 मोदकों में से 70 मोदक ‘गरड़ा घर’ से रहस्यमय तरीके से गायब
पुरी। पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए ‘अमुनिया मोदक’ के लापता होने की खबर से श्रद्धालुओं और सेवायतों के बीच हड़कंप मच गया है। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब भगवान बलभद्र के बड़ग्राही हलधर दास महापात्र ने आरोप लगाया कि 21 जून की रात दशमूल विधि के दौरान चढ़ाए जाने वाले 313 मोदकों में से 70 मोदक ‘गरड़ा घर’ से रहस्यमय तरीके से गायब हो गए।
‘दशमूल मोदक’ एक पारंपरिक आयुर्वेदिक व्यंजन है और यह अणसर काल के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जब माना जाता है कि पुरी जगन्नाथ मंदिर के देवता स्नान पूर्णिमा के अवसर पर अपने औपचारिक स्नान के बाद बीमार पड़ जाते हैं।
इन मोदकों को मंदिर के राजवैद्य द्वारा विशेष विधि से तैयार किया गया था और सुरक्षा प्रभारी के नेतृत्व में उन्हें गरड़ा घर में सुरक्षित रखा गया था। परंतु चढ़ावे से पहले ही इनमें से कई मोदक गायब पाए गए। हैरानी की बात यह भी है कि बचे हुए मोदकों का उपयोग भगवान को भोग चढ़ाने में कर लिया गया, जिस पर दास महापात्र ने गंभीर आपत्ति जताई है।
बड़ग्राही ने उठाए गंभीर सवाल
हलधर दास महापात्रा ने श्री मंदिर के मुख्य प्रशासक को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने सवाल उठाया कि गरड़ा घर से मोदक कौन ले गया? इतनी कड़ी सुरक्षा में ऐसा कैसे संभव हुआ? उन्होंने यह भी पूछा कि जिन मोदकों पर पहले ही संदेह है, उनका उपयोग भगवान के अभिषेक में करना क्या उचित था?
कानून मंत्री ने आरोपों को बताया ‘भ्रामक’
इस बीच, ओडिशा के विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने पूरे विवाद को “भ्रामक और तथ्यहीन” करार देते हुए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मंदिर में मोदकों की कोई आधिकारिक गिनती या रजिस्टर नहीं रखा जाता, ऐसे में 70 मोदकों के गायब होने का दावा निराधार है। एसजेटीए के मुख्य प्रशासक पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कोई चोरी नहीं हुई है।
उन्होंने आरोप लगाने वालों को ‘सस्ती लोकप्रियता’ की चाहत रखने वाला बताया और कहा कि जो लोग धार्मिक परंपराओं को राजनीति का जरिया बना रहे हैं, उन्हें कानून के तहत उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
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