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किराया निर्धारण व स्थानांतरण अब होगा आसान
भुवनेश्वर। राज्य में आम लोगों के लिए जमीन से जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से ओडिशा सरकार ने भूमि के रिकॉर्ड ऑफ राइट्स (आर ओ आर) यानी पट्टा में दर्ज किस्मों की संख्या को 7797 से घटाकर मात्र 22 कर दिया है।
राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा लिए गए इस निर्णय से जमीन का किराया निर्धारण, स्थानांतरण, म्यूटेशन, अधिग्रहण और मुआवजा तय करने जैसे कार्य अब काफी आसान और समयबद्ध तरीके से हो सकेंगे। मोहन माझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के इस फैसले से ऑनलाइन भुगतान और भूमि से जुड़े कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है।
जरूरी थी किस्मों की पुनर्संरचना
बताया जाता है कि एक ही भूमि प्रकार के लिए ओडिशा के अलग-अलग इलाकों में हजारों स्थानीय नामों का प्रयोग होता था, जिससे भ्रम की स्थिति बनती थी। 7797 किस्मों का अस्तित्व जमीन से जुड़े कार्यों को पेचीदा बनाता था। राजस्व प्रशासन में पारदर्शिता और कार्यक्षमता बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गई। भूमि अधिग्रहण, मुआवजा निर्धारण, प्राकृतिक आपदा के समय इनपुट सब्सिडी व सहायता वितरण में देरी और जटिलताएं आती थीं। किराया निर्धारण और व्यवसायिक उपयोग के लिए भूमि स्थानांतरण की प्रक्रिया आसान हो सके, इस दृष्टि से यह कदम आवश्यक था। भारत सरकार और ओडिशा सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस नीति को बढ़ावा देने के लिए यह एक बड़ा कदम है।
किसानों और आम नागरिकों को लाभ मिलेगा
बताया गया है कि इस ऐतिहासिक सुधार से न केवल किसानों और आम नागरिकों को लाभ मिलेगा, बल्कि सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आएगी। जमीन से जुड़ी प्रशासनिक प्रक्रियाओं में आने वाली दिक्कतें अब बीते दिनों की बात बन सकती हैं।
नई 22 भूमि किस्में
- जलसिचित दो फसली
- जलसिचित एक फसली
- अजलसिचित
- बगायत (बागवानी योग्य)
- जलाशय
- घरबारी (रिहायशी)
- व्यवसायिक
- खानी-खदान
- अनुष्ठानिक (मंदिर,आश्रम आदि)
- जंगल
- उन्नयन योग्य (विकास योग्य)
- नाला
- नयनजोड़ी (छोटी जलधाराएं)
- गोचर (चरागाह)
- नदी
- रास्ता
- रेलवे लाइन
- श्मशान
- कब्रिस्तान
- समुद्र
- परती भूमि (बंजर)
- पहाड़/पहाड़ी