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पूर्व नक्सली और ग्रामीण की हत्या
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जंगलों में कंगारू कोर्ट लगाकर डरा-धमका रहे हैं ग्रामीणों को
मालकानगिरि। ओडिशा के मालकानगिरि जिले से सटा छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में रविवार को माओवादियों ने एक बार फिर बर्बरता की सारी हदें पार करते हुए दो लोगों की हत्या कर दी। मारे गए लोगों में एक पूर्व नक्सली शामिल है, जो पहले आत्मसमर्पण कर चुका था, जबकि दूसरा स्थानीय ग्रामीण बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों को शक था कि ये दोनों पुलिस के मुखबिर थे।
स्थानीय लोगों में दहशत फैलाने के इरादे से इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया है। यह भी बताया जा रहा है कि बीते एक सप्ताह में माओवादियों ने मुखबिरी के शक में पांच लोगों की हत्या कर दी है। घटनास्थल पर पुलिस पहुंच चुकी है और विस्तृत जांच जारी है।
हालांकि सुरक्षा बलों ने कई इलाकों में अपने कैंप स्थापित किए हैं, लेकिन बावजूद इसके माओवादी जंगलों में ‘जन अदालत’ (कंगारू कोर्ट) लगाकर ग्रामीणों को डरा-धमका रहे हैं।
माओवादियों के खिलाफ बड़ा अभियान: ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट
माओवादियों के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने हाल ही में ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ चलाया। 21 अप्रैल से 11 मई तक चले इस 21 दिवसीय अभियान में छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के कर्रेगुट्टालु पहाड़ियों में बड़ी कार्रवाई की गई। इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ, कोबरा, एसटीएफ और डीआरजी के करीब 24,000 जवानों ने भाग लिया और 31 माओवादी मारे गए, जिनमें कई वरिष्ठ कमांडर भी शामिल थे।
आबूझमाड़ मुठभेड़ में शीर्ष माओवादी नेता हुआ था ढेर
इसके बाद 21 मई को अबूझमाड़ के जंगलों में हुए एक बड़े एनकाउंटर में माओवादियों को और झटका लगा। ‘ऑपरेशन कागर’ के तहत हुई इस मुठभेड़ में मारे गए लोगों में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज भी शामिल था, जिसके सिर पर 3.5 करोड़ रुपये का इनाम था। इस अभियान में कुल 28 माओवादी मारे गए। इन कार्रवाईयों से स्पष्ट है कि सुरक्षा बलों ने माओवादियों के खिलाफ अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जवाबी हमलों के रूप में माओवादी अब ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं, जिससे इलाके में भय का माहौल बना हुआ है। प्रशासन ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।