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ओडिशा की जात्रा इंडस्ट्री में फिर बवाल

  • अभिनेता कहना स्वाईं और संचालक संजीव पाढ़ी आमने-सामने

  • कलाकारों की अदायगी और पार्टी बदलने को लेकर गरमाया मामला

  • कलाकारों की निष्कासन की मांग, संगठनों की चुप्पी

भुवनेश्वर। ओडिशा की रंगमंचीय पहचान जात्रा में एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस बार टकराव का केंद्र बने हैं लोकप्रिय अभिनेता कहना स्वाईं और उनकी पत्नी अभिनेत्री टिकी, जिनका जात्रा संचालक संजीव पाढ़ी के साथ विवाद खुलकर सामने आ गया है।

हाल ही में अभिनेता पीयूष त्रिपाठी और संजीव पाढ़ी के बीच हुए विवाद के बाद अब कहना और टिकी का मामला जात्रा इंडस्ट्री में नई हलचल पैदा कर रहा है।

20 लाख की अग्रिम राशि बना विवाद की जड़

सूत्रों के अनुसार, कहना और टिकी ने पहले ‘सिंहवाहिनी’ जात्रा पार्टी से जुड़ाव किया था और 20 लाख रुपये अग्रिम लिये थे, लेकिन बाद में उन्होंने वह पार्टी छोड़कर ‘श्रीमंदिर’ जात्रा पार्टी से जुड़ गए। युगल ने 18 लाख रुपये वापस कर दिए, लेकिन बचे हुए 2 लाख रुपये को लेकर विवाद बढ़ता गया।

संचालक संजीव पाढ़ी ने इसे अनुबंध का उल्लंघन बताया और कहा कि दोनों कलाकारों को एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित कर देना चाहिए।

कहना स्वाईं के गंभीर आरोप

इस निर्णय के खिलाफ प्रतिक्रिया देते हुए कहना ने पाढ़ी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पाढ़ी ओडिशा की पुरानी जात्रा पार्टियों को समाप्त करने की साजिश कर रहे हैं और यहां तक कि उन्होंने कहना को मारा डालने की कोशिश की, जिसमें अन्य कलाकार भी लक्षित थे।

कहना ने कहा कि वो तीन साल तक मुझे दौड़ाते रहे। मैंने कभी उन्हें नहीं दौड़ाया। अगर उन्होंने मुझे तीन साल तक दौड़ाया, तो फिर एक साल की नौकरी देकर मुझे कैसे बैन कर सकते हैं? कलाकारों का दिल जीतना पड़ता है, कोई किसी को बनाकर कलाकार नहीं बनाता।

वहीं संजीव पाढ़ी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि कहना और पीयूष एक ही पार्टी में नहीं रह सकते। ये सब प्रायोजित कार्यक्रम है। क्या कभी किसी ने सुना है कि संजीव पाढ़ी ने झूठ बोला?

अन्य संचालक भी आए विरोध में

जहां जात्रा मालिक संघ (ओनर्स एसोसिएशन) इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, वहीं ‘सूर्य मंदिर’ जात्रा पार्टी के संचालक प्रमोद स्वाईं ने खुलकर पाढ़ी पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि संजीव पाढ़ी ने उनकी पार्टी से वैध अनुबंध के बावजूद कलाकारों को तोड़ा और ‘स्वप्न महल’ पार्टी से भी कई कलाकारों को अपने दल में शामिल कर लिया।

प्रमोद स्वाईं ने पीयूष त्रिपाठी के निष्कासन पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उनके दल ने पहले ही पीयूष के साथ कार्यक्रम तय कर रखे थे और निष्कासन के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।

प्रमोद स्वाईं ने कहा कि हमने पीयूष के साथ दो साल का समझौता किया था। हम उसे रखना चाहते थे, लेकिन संघ के दबाव में नुकसान हुआ। कलाकार ने खुद क्यों कहा कि वह एक साल का विश्राम लेगा?

 पहले भी विवादों में रहे हैं संजीव पाढ़ी

यह पहला मौका नहीं है जब संजीव पाढ़ी विवादों में आए हों। जात्रा मैनेजर बंकिम स्वाईं ने उन्हें पहले जात्रा इंडस्ट्री का ‘काला पहाड़’ कहा था। अब कहना, टिकी और पाढ़ी के बीच के इस विवाद ने फिर से ओडिशा की जात्रा संस्कृति को मंच से ज्यादा पर्दे के पीछे के ड्रामे में उलझा दिया है।

निजी स्वार्थों के टकराव से जूझ रही इंडस्ट्री

ओडिशा की लोकप्रिय जात्रा परंपरा, जो वर्षों से मनोरंजन के साथ सामाजिक सरोकारों की प्रस्तुति करती आई है, अब आंतरिक संघर्षों, कलाकारों की अदायगी, अनुबंध उल्लंघन और निजी स्वार्थों के टकराव से जूझ रही है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि जात्रा मालिक संघ, कलाकार संघ और प्रशासन इस सांस्कृतिक मंच को बचाने के लिए संवाद, नियमन और पारदर्शिता का रास्ता अपनाएं। वरना यह जीवंत परंपरा गुटबाज़ी और विवादों की भेंट चढ़ सकती है।

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