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ओडिशा में खत्म होगा ब्रिटिश काल का भू-श्रेणीकरण प्रणाली

  •  अब केवल 27 किस्में होंगी मान्य

  •  राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने ऐतिहासिक सुधार की घोषणा की

  •  वर्तमान में मान्यता प्राप्त हैं लगभग 3,000 प्रकार की भूमि स्वामित्व श्रेणियां

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार राज्य की जटिल और पुरानी भू-श्रेणीकरण प्रणाली को समाप्त कर एक नई, सरल और पारदर्शी व्यवस्था लागू करने जा रही है। राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने इस ऐतिहासिक सुधार की घोषणा की। अब तक प्रचलित 7,000 से अधिक भू-प्रकार (किस्म) को घटाकर केवल 27 श्रेणियों में समाहित किया जाएगा।

राज्य में वर्तमान समय में लगभग 3,000 प्रकार की भूमि स्वामित्व श्रेणियां मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें से अधिकतर या तो अप्रचलित हो चुकी हैं या एक-दूसरे से ओवरलैप करती हैं। इससे न केवल आम जनता और राजस्व अधिकारियों के बीच विवाद की स्थिति पैदा होती है, बल्कि भूमि प्रशासन की प्रक्रिया भी जटिल हो जाती है। सरकार अब इस संख्या को भी डबल डिजिट तक सीमित करने की तैयारी में है।

ब्रिटिश कालीन कानूनों का होगा उन्मूलन

मंत्री पुजारी ने कहा कि ओडिशा में लागू अधिकांश भू-अधिकार और वर्गीकरण संबंधी कानून ब्रिटिश काल के हैं और वर्तमान दौर की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं। इसलिए राजस्व विभाग ऐसे अप्रासंगिक कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया में है। नए ढांचे के तहत भूमि रिकॉर्ड, स्वामित्व और लेनदेन को अधिक सरल, डिजिटल और विवादरहित बनाया जाएगा।

नए नियमों का मसौदा तैयार

मंत्री ने जानकारी दी कि नई व्यवस्था के तहत एक जैसी प्रकृति की ज़मीनों को अलग-अलग नाम देने की जरूरत नहीं रह जाएगी। उन्होंने कहा कि हम संभावित ज़मीन के प्रकारों की पहचान कर रहे हैं और मसौदा नियमावली का अंतिम रूप तैयार हो चुका है। अब 7,000 से अधिक भूमि प्रकारों को घटाकर 27 किया जाएगा। इससे न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी, बल्कि आम लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी।

राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों से हो रही चर्चा

राजस्व विभाग इस सुधार को लागू करने से पहले राजनीतिक दलों और भू-अधिकार विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा कर रहा है ताकि नए ढांचे को सभी हितधारकों की सहमति और भागीदारी के साथ लागू किया जा सके।

पारदर्शिता और विवादमुक्त भूमि व्यवस्था उद्देश्य

राज्य सरकार का उद्देश्य है कि ओडिशा में भूमि से जुड़े विवादों को समाप्त किया जाए, भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज किया जाए और निवेश, योजनाओं और नागरिक सेवाओं में तेजी लाई जाए। नई व्यवस्था से आम नागरिकों को जमीन के स्वामित्व, खरीद-बिक्री और सरकारी योजनाओं के लाभों में बड़ी सहूलियत मिलेगी।

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