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कहा-“आदिवासी शक्ति समावेश” संस्कृति और परंपरा का एक अद्वितीय संगम
बारिपदा। राज्य सरकार के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मयूरभंज जिले के बारिपदा के छऊ मैदान में आयोजित राज्य स्तरीय “आदिवासी शक्ति समावेश” का उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि इस आदिवासी संस्कृति के समग्र विकास हेतु आगामी 2036 तक ओडिशा को एक समृद्ध राज्य में बदलना हमारा लक्ष्य है। इस लक्ष्य को अगले 11 वर्षों में साकार करने के लिए राज्य की 40% जनसंख्या, जो अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जातियों से संबंधित है, का सतत विकास आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह “आदिवासी शक्ति समावेश” संस्कृति और परंपरा का एक अद्वितीय संगम है। अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति विकास, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा आयोजित इस मेले का उद्देश्य राज्य की सभी आदिवासी समुदायों को एक मंच पर लाना और उन्हें एक-दूसरे की संस्कृति से परिचित कराना है। उन्होंने कहा कि इस समावेश का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों की समस्याओं और आवश्यकताओं को समझना और उनका समाधान सुनिश्चित करना है। राज्य सरकार उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।
जनजातीय समुदायों में बसती है ओडिशा की आत्मा
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि ओडिशा की आत्मा इसके जनजातीय समुदायों में बसती है। राज्य की लगभग एक-चौथाई जनसंख्या आदिवासी है और आज भारत में आदिवासी समुदाय सम्मानित स्थान प्राप्त कर रहे हैं। विशेषकर मयूरभंज जिले से सात आदिवासी विधायक चुने गए हैं, जो इस क्षेत्र के लिए गर्व की बात है।
महामहिम राष्ट्रपति बेटियों और महिला के लिए प्रेरणा स्रोत
उन्होंने कहा कि जब सम्मान की बात आती है, तो मयूरभंज की एक सामान्य परिवार की बेटी, तमाम बाधाओं को पार करते हुए आज देश की प्रथम नागरिक यानी महामहिम राष्ट्रपति पद पर आसीन होकर भारत को गौरवान्वित कर रही हैं। वह न केवल मयूरभंज बल्कि पूरे देश की आदिवासी बेटियों और हर महिला के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं।
शिक्षा से प्रसार ही होगा आदिवासी समाज का विकास
गणशिक्षा तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति मामलों के मंत्री नित्यानंद गोंड ने कहा कि हर आदिवासी परिवार में शिक्षा का प्रसार ही आदिवासी समाज के विकास का मुख्य आधार है।
पंचायती राज मंत्री रवी नारायण नायक ने कहा कि गरीब और उपेक्षित आदिवासी भाई-बहनों की सभी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
गृह एवं शहरी विकास मंत्री कृष्ण चंद्र महापात्र ने कहा कि जनजातियों की सामाजिक व्यवस्था, सांस्कृतिक वैभव और मौलिकता को संरक्षित रखना ज़रूरी है, क्योंकि हमारी संस्कृति की जड़ें हमारे मूल आदिवासी समाज में ही निहित हैं।
वन और पर्यावरण मंत्री गणेश राम सिंह खुंटिया ने कहा कि आदिवासियों का विकास केवल हमारी संस्कृति का विकास नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरण के विकास से भी जुड़ा हुआ है।