Home / Odisha / पुरी में रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण अंतिम चरण में

पुरी में रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण अंतिम चरण में

  • सरकार ने कसी सुरक्षा की कमान

पुरी। श्री जगन्नाथ संस्कृति की सबसे भव्य और पवित्र परंपरा पुरी रथयात्रा 2025 की तैयारियाँ अब अंतिम चरण में हैं। भगवान जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए बनाए जा रहे तीनों रथ नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन का निर्माण कार्य रथखाला में तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है।

महाराणा और भोई सेवकों द्वारा पारंपरिक विधि से रथ निर्माण हो रहा है, जो अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। सभी रथों की तीसरी और अंतिम मंजिल का निर्माण पूरा हो चुका है। इसके चारों ओर लकड़ी के सजावटी पैनल (पटला) भी लग चुके हैं। दो रथों पर तिरछे सहारे वाली लकड़ी (सेनी) भी स्थापित हो गई हैं।

रथों के पहियों पर अंतिम नक्काशी

रथों के विशाल लकड़ी के पहियों पर परंपरागत शिल्पांकन का काम भी अंतिम चरण में है। पाटगुजा (बाहरी हिस्सों) पर कलात्मक आकृतियां उकेरी जा रही हैं। पहियों के रक्षक ढांचे और खापुरी (रथ की शिखा जैसे हिस्से) जैसे सभी संरचनात्मक हिस्से अब पूरी तरह तैयार हैं।

सुरक्षा को लेकर सरकार सख्त

राज्य सरकार ने इस वर्ष की रथयात्रा को शांतिपूर्ण, अनुशासित और भक्ति से ओतप्रोत बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। राज्य के विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने मीडिया को बताया कि यदि कोई गैर-सेवक रथ पर चढ़ता हुआ पाया गया, तो तुरंत गिरफ़्तार किया जाएगा। रथ पर चढ़ने वाले सेवकों के लिए मोबाइल फोन का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिससे अनुष्ठानों की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

सेवकों की सूची तैयार

प्रमुख अनुष्ठानों जैसे पहंडी बीजे, घंटा सेवा आदि के दौरान केवल अधिकृत सेवकों को ही भाग लेने की अनुमति होगी। इसके लिए सरकार और छतीसा नियोग के सहयोग से निर्धारित सेवकों की सूची तैयार की जा रही है।

 परंपरा और अनुशासन का संगम

पुरी रथयात्रा न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण भी है। इस वर्ष सरकार का उद्देश्य है कि यह यात्रा परंपरा, भक्ति और अनुशासन के समन्वय के साथ संपन्न हो, जिससे विश्वभर के श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और भव्य अनुभव मिल सके।

Share this news

About desk

Check Also

भारतीय ज्ञान परंपरा का एआई मॉडलिंग होना आवश्यक – धर्मेंद्र प्रधान

 इंडियन काउंसिल ऑफ फिलॉसफिकल रिसर्च का नया लोगो का विमोचन भुवनेश्वर। भारतीय ज्ञान परंपरा की …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *