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ओडिशा क्राइम ब्रांच ने एक बड़े गिरोह का किया पर्दाफाश
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बलांगीर से 5 ग्रामीण डाक सेवक गिरफ्तार
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फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप
भुवनेश्वर/बलांगीर। ओडिशा क्राइम ब्रांच ने डाक विभाग में फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश करते हुए बलांगीर जिले से 5 ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) को गिरफ्तार किया है। ये सभी आरोपी वर्ष 2023 की भर्ती प्रक्रिया के दौरान फर्जी मैट्रिक प्रमाणपत्र जमा कर नौकरी पाने में सफल हुए थे।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान कुलमणि राणा (24), अजाउद्दीन कुम्भार (28), रजत कुमार नायक (32), सुधीर भुई (27) और तोफन बाग (45) के रूप में हुई है।
शिकायत से खुला फर्जीवाड़े का राज
मार्च 2023 में बलांगीर डाक मंडल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद यह घोटाला सामने आया। शुरुआती जांच स्थानीय पुलिस ने की, जिसे बाद में राज्य क्राइम ब्रांच ने अपने हाथ में लिया। क्राइम ब्रांच के आईजी सार्थक षाड़ंगी ने पुष्टि की कि आरोपियों ने फर्जी 10वीं के प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर सरकारी नौकरी हासिल की थी।
पिछली जांचों में भी सामने आए कई नाम
यह कार्रवाई एक बड़े जाल की कड़ी मानी जा रही है। पूर्व में इसी घोटाले के सिलसिले में 20 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें इस रैकेट का मास्टरमाइंड अभिजीत कुमार भकत भी शामिल है।
मार्च 2023 में ही बलांगीर पुलिस ने 21 लोगों को हिरासत में लिया था, जिनमें 19 नौकरी के इच्छुक और एक कोचिंग सेंटर संचालक शामिल था। जांच के दौरान देशभर की यूनिवर्सिटियों के 1,000 से अधिक फर्जी प्रमाणपत्र जब्त किए गए थे।
कोचिंग सेंटर बना था फर्जीवाड़े का अड्डा
कोचिंग सेंटर पर आरोप है कि वह 50,000 से 5 लाख तक लेकर फर्जी प्रमाणपत्र उपलब्ध कराता था, जिनमें कई में 98-100% तक अंक दिखाए गए थे। यह संदेहास्पद तब लगने लगा जब ऐसे उम्मीदवार साधारण अंग्रेज़ी और ओड़िया परीक्षा में भी फेल होने लगे।
सीबीआई जांच की सिफारिश और छापेमारी
घोटाले के अंतरराज्यीय तार जुड़े होने के कारण डाक विभाग ने इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश की है। हाल ही में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने ओडिशा के भुवनेश्वर, बलांगीर, कालाहांडी, संबलपुर और केंदुझर सहित 12 ठिकानों पर छापेमारी कर डिजिटल डिवाइस और फर्जी दस्तावेज जब्त किए हैं।
सवालों के घेरे में चयन प्रक्रिया
यह मामला न केवल डाक विभाग की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि किस प्रकार फर्जी दस्तावेजों और नेटवर्क के जरिए बेरोजगार युवाओं को गुमराह कर सरकारी तंत्र को धोखा दिया जा रहा है। अब जांच एजेंसियों की नजर इस पूरे नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने पर है।