-
अप्रत्याशित चयन के बाद दिया स्थिर शासन
-
अपनी सादगी से लोगों के बीच बने लोकप्रिय
भुवनेश्वर। ओडिशा में मोहन चरण माझी की सरकार के एक साल पूरे हो गए। 11 जून 2024 को जब भाजपा ने केन्दुझर के विधायक मोहन चरण माझी को अप्रत्याशित रूप से मुख्यमंत्री घोषित किया और 12 जून को उन्होंने शपथ ली, तब शायद ही किसी ने सोचा था कि यह सादगीप्रिय जननेता इतने कम समय में जनता के दिलों में अपनी जगह बना लेंगे। अपने पहले ही वर्ष में माझी ने न केवल प्रशासनिक स्थिरता दी, बल्कि जनता से सीधा संवाद बनाकर सरकार को जन-सरकार की पहचान दिलाई।
अप्रत्याशित था चेहरा, लेकिन संगठन से जुड़ी गहरी पकड़
चुनाव परिणाम 2 जून को घोषित हुए थे और भाजपा ने 147 में से 78 सीटें जीतकर बीजद के 24 साल पुराने शासन का अंत किया। पार्टी ने बिना मुख्यमंत्री पद के चेहरे के साथ चुनाव लड़ा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बड़ा जनादेश हासिल किया था, लेकिन एक हफ्ते तक मुख्यमंत्री पद का नाम पूरी तरह गोपनीय रखा गया।
11 जून को भाजपा विधायक दल की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की मौजूदगी में केन्दुझर के विधायक मोहन माझी को सर्वसम्मति से नेता चुना गया और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
एक साल में दिखा स्थिरता और जनसंपर्क का मेल
पिछले एक साल में मुख्यमंत्री मोहन माझी ने जनसेवा, अनुशासन और संगठन क्षमता का परिचय देते हुए सरकार को स्थिर रूप से चलाया है। नौकरशाही में कसावट लाना, भ्रष्टाचार पर सख्ती, और जनकल्याण की योजनाओं में तेजी लाना उनके शासन की प्रमुख विशेषताएं रही हैं। उन्होंने आम जनता की शिकायतों को सीधे सुनने और समाधान देने की पहल की, जिससे सरकार की छवि एक जनता की सरकार के रूप में बनी।
जनजातीय नेतृत्व का सशक्त प्रतिनिधित्व
मोहन माझी संथाल जनजाति से आते हैं, जो ओडिशा के अलावा झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार में फैली हुई है। भाजपा को 2024 के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों में 55% सफलता और एसटी बहुल लोकसभा सीटों में 80% जीत मिली, जिसका बड़ा श्रेय माझी जैसे नेतृत्व को जाता है।