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अब 500 वर्गमीटर तक के भूखंडों की आंशिक बिक्री पर कोई रोक नहीं, फाइल प्रक्रिया शुरू
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने राज्य के हजारों भूखंड मालिकों और संभावित खरीदारों को बड़ी राहत देते हुए एक बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने 500 वर्गमीटर (करीब 5200 वर्गफीट) तक के भूखंडों की आंशिक बिक्री (पार्ट प्लॉट सेल) पर लगी वर्षों पुरानी रोक को हटा दिया है। फाइल प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस फैसले से उन लोगों को सीधा लाभ मिलेगा जो जमीन बेचकर अपनी बेटियों की शादी या बच्चों की उच्च शिक्षा जैसे जरूरी खर्चों को पूरा करना चाहते थे।
वर्षों से बंद रास्ता खुला
अब तक राज्य में छोटे भूखंडों को आंशिक रूप से बेचने पर पाबंदी थी। इससे कई परिवारों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता था। इस नीति के कारण न केवल लोगों को आर्थिक परेशानी हुई, बल्कि सरकार को भी राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ। अब सरकार द्वारा लाए गए ओडीए (प्लानिंग एंड बिल्डिंग स्टैंडर्ड) सेकेंड अमेंडमेंट रूल्स के तहत यह प्रतिबंध हटाया गया है।
अब बिना अनुमति बिकेंगे छोटे भूखंड
नई व्यवस्था के तहत 500 वर्गमीटर तक के भूखंडों की बिक्री अब बिना किसी पूर्व स्वीकृति के की जा सकेगी।
बड़े भूखंडों की बिक्री के लिए लेआउट जरूरी
यदि इससे बड़े भूखंडों की बिक्री करनी हो या उसे प्लॉटिंग स्कीम के तहत बेचना हो, तो संबंधित जमीन का लेआउट बनाकर आवश्यक सुविधाओं जैसे 6 या 9 मीटर चौड़ी सड़कें, ड्रेनेज, पार्किंग और ओपन स्पेस के साथ प्रस्ताव संबंधित विकास प्राधिकरणों, जैसे भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण (बीडीए) या ग्रामीण क्षेत्रों में बीडीओ, को जमा करना होगा।
कृषि भूमि पर पूरी तरह से हटी रोक
एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में सरकार ने कृषि भूमि की आंशिक बिक्री पर भी रोक हटा दी है। केवल रिहायशी उपयोग में परिवर्तन के मामलों में कुछ शर्तें अभी भी लागू रहेंगी। यह निर्णय खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित होगा, जहां अधिकांश लोग कृषि भूमि पर निर्भर हैं।
भूखंडों का अब हो सकेगा पारिवारिक उप-विभाजन
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी परिवार के सदस्य आपस में भूखंड का उप-विभाजन करना चाहते हैं, तो उस पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। यहां तक कि यदि समूह में भूखंड खरीदा गया है और प्रत्येक हिस्सा 500 वर्गमीटर से कम है, तो लेआउट स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, सभी मामलों में सड़क की चौड़ाई और ज़ोनिंग संबंधी नियम पहले की तरह लागू रहेंगे।
पुराने मामलों का होगा नियमितीकरण
राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की कि ऐसे भूखंड जो पहले बिना लेआउट अनुमोदन के बेचे गए थे, उन्हें अब 6 मीटर चौड़ी सड़क की उपलब्धता पर 5% से 10% कंपाउंडिंग फीस लेकर नियमित किया जाएगा। हालांकि, यह सुविधा केवल उन्हीं मामलों में लागू होगी जो जोनिंग और विकास योजनाओं के अनुरूप हैं। जो भूखंड इन शर्तों को पूरा नहीं करते, उन्हें नियमित नहीं किया जाएगा।
अटकी फाइलों पर तेजी से काम
इसके साथ ही सरकार ने यह भी बताया कि लंबे समय से अपार्टमेंट रजिस्ट्रेशन जैसे मामलों में जो फाइलें विभागों में अटकी हुई थीं, उन पर अब कार्य शुरू हो चुका है। अफसरों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाए और लोगों को न्याय मिले।
नागरिक सुविधा और सरकार की आमदनी दोनों को फायदा
इस नीति बदलाव से जहां आम नागरिकों को वर्षों की परेशानी से मुक्ति मिलेगी, वहीं सरकार को भी भूखंड रजिस्ट्रियों से राजस्व प्राप्त होगा। शहरी विकास मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि यदि पूर्ववर्ती सरकारों ने समय रहते इस विषय को गंभीरता से लिया होता, तो न केवल हजारों परिवारों की समस्याएं सुलझ जातीं बल्कि सरकारी खजाने को भी हजारों करोड़ रुपये की क्षति नहीं होती।
आसान जीवन की दिशा में एक कदम
नई नीति को राज्य सरकार ने इजी ऑफ लिविंग का हिस्सा बताया है। वर्षों से जिन परिवारों को मजबूरी में अपनी जमीन बेचना था, उनके लिए अब रास्ता साफ हो गया है। यह कदम ओडिशा में भूमि सुधार और नागरिक सुविधाओं की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।