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मुकुंद राव कुलकर्णी

दुर्लभ व्यक्तित्व वाले थे मुकुंद राव कुलकर्णी – देशपांडे

  •  अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का मुकुंदराव कुलकर्णी स्मृति व्याख्यानमाला का प्रथम व्याख्यान आयोजित

मुकुंद राव कुलकर्णी

भुवनेश्वर. मुकुंद राव कुलकर्णी आचार, विचार और उच्चार में एकरूपता रखने वाले, सर्वसमावेशक, दुर्लभ व्यक्तित्व थे. यह बातें अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित मुकुंदराव कुलकर्णी स्मृति व्याख्यानमाला के प्रथम व्याख्यान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख प्रो अनिरुद्ध देशपांडे ने कहीं. प्रोफेसर देशपांडे ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि मुकुंदराव राष्ट्र, शिक्षा और शिक्षक तीनों के हित का समग्र चिंतन करते थे. उन्होंने भारतीय तत्व ज्ञान से बिना समझौता किए हुए वामपंथी प्रभुत्व वाले क्षेत्र में राष्ट्रीय विचार का अखिल भारतीय संगठन खड़ा किया. प्रो देशपांडे ने कहा कि कुलकर्णी जी का मानना स्पष्ट था कि शिक्षक संगठन ट्रेड यूनियन नहीं हो सकते, केवल अधिकार और स्वार्थ के आधार पर लंबे समय की यात्रा नहीं की जा सकती.

प्रो अनिरुद्ध देशपांडे

कार्यक्रम में विचार रखते हुए महासंघ के अध्यक्ष प्रो जेपी सिंघल ने कहा कि मुकुंदराव कुलकर्णी की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था. वे सिद्ध पुरुष तो थे ही साथ ही शुद्ध पुरुष भी थे. व्याख्यानमाला की प्रस्तावना रखते हुए संगठन मंत्री महेंद्र कपूर ने कहा कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष मुकुंदराव कुलकर्णी ने एक दिव्य लक्ष्य को लेकर तिल-तिल अपने आप को होम कर दिया और अधिकारों के संघर्ष के वातावरण में राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक और शिक्षक के हित में समाज के त्रिसूत्र के आधार पर राष्ट्रीय विचार के शिक्षकों का केजी से लेकर पीजी तक का अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जैसा संगठन खड़ा किया. 1988 से विधिवत प्रारंभ हुई यह महायात्रा अब सागर बन गई है जिसकी गंगोत्री मुकुंदराव कुलकर्णी थे. कार्यक्रम में विशेष रुप से उपस्थित मुकुंदराव कुलकर्णी की पुत्री अनीता ने बताया कि वे संगठन कार्य के लिए महीने में 20 से 25 दिन बाहर रहते थे, लेकिन परिवार के सदस्यों की आवश्यकता का पूरा ध्यान रखते थे. अंत समय में उनकी दैनंदिन चीजों से संबंधित स्मृति बहुत क्षीण हो गई थी, लेकिन संगठन की प्रत्येक बात उन्हें याद थीं.

लगभग दो घंटे तक ऑनलाइन चली इस व्याख्यानमाला में मुकुंदराव कुलकर्णी के साथ लंबे समय काम कर चुके कार्यकर्ताओं, पूर्व अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रो के नरहरि कर्नाटक, प्रो विमल प्रसाद अग्रवाल राजस्थान, वसंत काने, पूर्व एमएलसी ताई संजीवनी रायकर, बाबा साहब काले, के आर तुंगार, प्रियंवदा सक्सेना महाराष्ट्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए.कार्यक्रम ममता डीके के द्वारा सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुआ. अंत में महासंघ की अतिरिक्त महामंत्री डॉ निर्मला यादव ने सभी का आभार ज्ञापित किया. कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा ने किया. समापन अवनी प्रजापति द्वारा वंदे मातरम से हुआ. ऑनलाइन आयोजित हुई इस व्याख्यानमाला में देशभर के विभिन्न राज्यों से 500 से अधिक शिक्षक कार्यकर्ताओं ने सहभाग किया.

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