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ऊर्जा क्षेत्र में ओडिशा की बड़ी छलांग

  • ऊपरी इंद्रावती पम्प्ड स्टोरेज परियोजना के लिए ओएचपीसी और वैप्कॉस के बीच समझौता

भुवनेश्वर। ओडिशा की ऊर्जा क्षमताओं को नई ऊंचाई देने की दिशा में आज एक ऐतिहासिक समझौता हुआ। ओडिशा हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएचपीसी) और वैप्कॉस लिमिटेड के बीच 600 मेगावाट की ऊपरी इंद्रावती पम्प्ड स्टोरेज परियोजना के लिए परियोजना प्रबंधन परामर्श सेवाओं के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

यह समझौता राज्य के उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंहदेव, विकास आयुक्त-कम-अतिरिक्त मुख्य सचिव अनु गर्ग और ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव विशाल कुमार देव की उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस अवसर पर जल संसाधन, ऊर्जा, ओएचपीसी और वैप्कॉस के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

नवीकरणीय ऊर्जा को स्थायित्व देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

भारत सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 31 मार्च 2025 तक 220 गीगावाट की उपलब्धि हो चुकी है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोत स्वभाव से अनियमित होते हैं और रात्रिकालीन मांग के समय अनुपलब्ध रहते हैं। ऐसे में हाइड्रो पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाएं ग्रिड की स्थिरता और मांग-आपूर्ति संतुलन बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हो गई हैं।

विशाल ऊर्जा भंडारण प्रणाली की तरह कार्य करेगी पम्प्ड स्टोरेज परियोजना?

यह परियोजना एक विशाल ऊर्जा भंडारण प्रणाली की तरह कार्य करेगी। जब ग्रिड में अतिरिक्त बिजली उपलब्ध होगी, तो पानी को निचले जलाशय से ऊपरी जलाशय में पंप किया जाएगा। और जब बिजली की मांग चरम पर होगी (जैसे रात के समय), तो उसी पानी को वापस नीचे गिराकर बिजली उत्पन्न की जाएगी।

ओएचपीसी पहले से ही 600 मेगावाट की पारंपरिक हाइड्रो परियोजना का संचालन कर रही है। उसी के निकट यह नई पम्प्ड स्टोरेज परियोजना विकसित की जा रही है, जिससे समग्र क्षमता और ग्रिड संतुलन दोनों को मजबूती मिलेगी।

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