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डॉ मृत्युंजय महापात्र को आपदा प्रबंधन में वैश्विक नेतृत्व का सम्मान

  •  संयुक्त राष्ट्र का सासाकावा पुरस्कार-2025 से होंगे सम्मानित

भुवनेश्वर। मौसम विज्ञान क्षेत्र में एक गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल करने पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र को संयुक्त राष्ट्र सासाकावा पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया है।

डॉ महापात्र ओडिशा के भद्रक जिले से आते हैं और उन्हें अक्सर भारत का ‘साइक्लोन मैन’ कहा जाता है। उनके नेतृत्व में भारत ने चक्रवातों की भविष्यवाणी और पूर्व चेतावनी प्रणाली में क्रांतिकारी सुधार किए हैं, जिससे लाखों लोगों की जानें बचाई जा सकीं।

डॉ महापात्र ने भौतिकी में एम-एससी और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने 1988 में डीआरडीओ के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर), चांदीपुर से एक जूनियर साइंटिफिक असिस्टेंट के रूप में अपना करियर शुरू किया। 1990 से 1992 तक वे बालेश्वर जिले के जलेश्वर स्थित डीके कॉलेज में भौतिकी के व्याख्याता रहे। 1992 में उन्होंने पुणे स्थित भारत मौसम विज्ञान विभाग में बतौर मौसम वैज्ञानिक प्रशिक्षु के रूप में प्रवेश किया। 2004 में वे गुवाहाटी स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बने और 2019 में उन्हें आईएमडी, नई दिल्ली के महानिदेशक पद की जिम्मेदारी सौंपी गई।

आम लोगों से जोड़ने वाली चेतावनी प्रणाली की शुरुआत

डॉ महापात्र ने “प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान” प्रणाली शुरू की, जिसमें किसानों, तटीय इलाकों के निवासियों, मछुआरों और आपातकालीन सेवा कर्मियों के लिए विशेष रूप से तैयार चेतावनियां जारी की जाती हैं। यह प्रणाली सूचना को केवल तकनीकी नहीं, बल्कि उपयोगी और क्रियाशील बनाती है, जिससे समय रहते सतर्कता बरती जा सके। उनके प्रयासों से भारत ही नहीं, बल्कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से सटे 13 सदस्य देशों को भी समय पर पूर्व चेतावनी मिलने लगी है।

सासाकावा पुरस्कार: एक वैश्विक सम्मान

1986 में जापान की ‘द निप्पॉन फाउंडेशन’ के सहयोग से स्थापित सासाकावा पुरस्कार, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है।

प्रधानमंत्री और मंत्रालय का समर्थन

आईएमडी ने इस उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पृथ्वी विज्ञान मंत्री और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव को भी दिया है, जिनके निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन से भारत की पूर्व चेतावनी प्रणाली को वैश्विक स्तर पर मजबूत पहचान मिली।

भारत के लिए गौरव का क्षण

डॉ मृत्युंजय महापात्र को यह सम्मान मिलना न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है। यह पुरस्कार भारत की जलवायु लचीलापन और आपदा प्रबंधन में वैश्विक नेतृत्व को और मजबूत करता है। डॉ महापात्र का यह सम्मान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है कि कैसे विज्ञान, प्रतिबद्धता और जनसेवा से विश्वस्तर पर छाप छोड़ी जा सकती है।

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