-
प्रभाती परिडा के कार्यक्रम में आमंत्रण न मिलने से नाराज दिखे समीर दाश
-
एक ही दूसरी जगह आयोजित की जनसभा
-
उपमुख्यमंत्री की घोषणा पर उठाए सवाल
भुवनेश्वर। पुरी जिले के निमापड़ा विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो वरिष्ठ नेताओं, पूर्व विधायक समीर रंजन दाश और मौजूदा विधायक व उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा, द्वारा आयोजित अलग-अलग कार्यक्रमों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
एक ओर जहां उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा की उपस्थिति में राज्य का पहला ‘उत्कर्ष निमापड़ा सम्मेलन’ आयोजित हुआ, वहीं दूसरी ओर समीर दाश ने उसी दिन भाजपा सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर निमापड़ा के कलापंचन पंचायत में जनसभा का आयोजन किया।
राज्यपाल हरि बाबू कंभमपाटी ने ‘उत्कर्ष निमापड़ा सम्मेलन’ का उद्घाटन किया, जिसे विकास कार्यों की समीक्षा को लेकर आयोजित किया गया था। इस सरकारी स्तर के कार्यक्रम में पुरी के विधायक सुनील मोहंती को बुलाया गया, लेकिन निमापड़ा के पूर्व विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता समीर रंजन दाश को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद की अटकलें तेज हो गई हैं।
प्रभाती ने पुरानी मंजूर योजनाओं का जिक्र किया – दाश
दूसरी ओर, समीर दाश ने अपने कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए कहा कि उत्कर्ष सम्मेलन में जिन योजनाओं का जिक्र किया गया, वे अधिकतर 2022–23 और 2023–24 के दौरान ही मंजूर हो चुकी थीं। हमने प्रभाती परिडा को 50,000–55,000 वोटों से जिताया और आज वे उपमुख्यमंत्री बन गई हैं। अब देखना है कि वे निमापड़ा में उत्कर्ष मिशन को कैसे लागू करती हैं।
उपमुख्यमंत्री ने दिया संतुलित जवाब
इस पर उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा ने संयमित बयान देते हुए कहा कि घर में बड़ों को छोटे से अधिक उम्मीद होती है, जो ज्यादा मेहनत करता है। मैं इसे नाराजगी नहीं, बल्कि आशीर्वाद मानती हूं। इससे भाजपा को जमीनी स्तर पर और मजबूती मिलेगी। आखिरकार, जनता ही तय करेगी कि एक साल में कितना और कैसा काम हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि बुजुर्गों की अपेक्षाएं जितनी ज्यादा होंगी, मैं उतनी ही मेहनत से काम करूंगी।
आपसी समीकरणों और शक्ति को लेकर चर्चाएं तेज
दोनों नेताओं के अलग-अलग कार्यक्रमों और बयानों से पार्टी की जिला इकाई में आपसी समीकरणों और शक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। समीर दाश जैसे अनुभवी नेता को अगर वाकई कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया, तो यह भाजपा के भीतर किसी गहरे मतभेद या बदलती रणनीति की ओर संकेत करता है।