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अब भी नहीं मिला सामाजिक स्वीकार
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समर्थन करने पर 40 परिवार भी झेल रहे हैं बहिष्कार का दंश
नवरंगपुर। ओडिशा के नवरंगपुर जिले में एक दंपती को अंतरजातीय विवाह करने के चलते पिछले 25 वर्षों से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार सुलह की कोशिशों के बावजूद, गौड़ा समुदाय ने अब तक उन्हें स्वीकार नहीं किया है।
यह मामला चांदहांडी ब्लॉक के सालेभट्ट गांव का है, जहां के निवासी धनिराम गौड़ा ने 25 साल पहले कलाहांडी जिले के सारधापुर गांव की रहने वाली मगसीरा से शादी की थी। धनिराम कोसोलिया गौड़ा समुदाय से हैं, जबकि उनकी पत्नी दलित समुदाय से आती हैं। इस वजह से धनिराम के समुदाय ने इस विवाह को कभी स्वीकार नहीं किया।
समुदाय में वापसी की कोशिशें नाकाम
धनिराम बताते हैं कि मैंने अपने मवेशी तक बेच देने की पेशकश की थी, ताकि उनके बताए गए रीति-रिवाज पूरे करूं, लेकिन फिर भी उन्होंने हमें स्वीकार नहीं किया। उल्टा गांव में हमारी बदनामी करते रहे।
उनकी पत्नी मगसीरा कहती हैं कि हमें करीब 24 साल से बहिष्कृत किया गया है। बाकी गांव वालों को हमसे कोई दिक्कत नहीं है, सिर्फ गौड़ा समाज के लोग ही हमें तिरस्कृत करते हैं। उन्होंने मुझे अपशब्द भी कहे।
धनिराम अपने पिता और 11 वर्षीय बेटे की सामाजिक विधियां भी नहीं कर सके, जिससे वे मानसिक रूप से काफी टूट चुके हैं।
समर्थन करने वालों को भी मिली सजा
इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले करीब 60 परिवारों को भी सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा। इनमें से 23 परिवारों को तभी दोबारा शामिल किया गया, जब उन्होंने 10,000 का जुर्माना अदा किया और सिर मुंडवा लिया।
पद दलित परिवार के एक सदस्य प्रह्लाद बैसला ने कहा कि हममें से जिन्होंने जुर्माना नहीं भरा, उन्हें आज भी समाज से बाहर रखा गया है।
गौड़ा समाज का पक्ष
गौड़ा समुदाय के सचिव मस्तुराम बागरती ने कहा कि यह सब उन पुराने पदाधिकारियों के समय हुआ था। हमने इन लोगों को कई बार बैठक के लिए बुलाया, लेकिन ये नहीं आए। इन्होंने खुद का अलग समूह बना लिया है और अब सहयोग नहीं करते।
प्रशासन मौन, समाधान अधूरा
हालांकि प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। वर्तमान में करीब 40 परिवार अब भी सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं और समाज से अलग-थलग जीवन जीने को मजबूर हैं।